क्या आप जानते हैं भारत में ऐसी कौन सी दो ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो बिना नींव के टिकी हुई हैं?

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भारतीय इतिहास तथ्यों और रहस्यों से भरा हुआ है. पिछले 500 सालों की बात करें तो मुग़लों से लेकर अंग्रेज़ों ने भारत पर एक छत्र राज किया. बावजूद इसके भारतीय शिल्पकारों ने अपनी अद्भुत कला का बेजोड़ नमूना पेश करते हुए कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण किया जिन पर आज हम गर्व करते हैं. 

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क्या आप जानते हैं भारत में ऐसी कौन सी दो ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो बिना नींव के टिकी हुई हैं? नहीं मालूम! तो चलिए हम बताते हैं. 

ब्रिटिशकाल के दौरान ‘राजपूताना’ नाम से मशहूर राजस्थान आज भी भारत के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. ऐतिहासिक महल, राजसी क़िले, हाथियों व ऊंटों की शाही सवारी और दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान. ये सारी ख़ूबियां ही राजस्थान को भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाता है. 

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राजस्थान में बने लगभग सभी क़िले व महल सदियों पुराने हैं. इन्हीं में से एक हवामहल भी है. जो अपनी बनावट के चलते पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है. 

1- हवामहल (1799) 

हवामहल भारत की उन ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जो बिना किसी नींव के टिकी हुई है. हवामहल बिना नींव वाला दुनिया का सबसे बड़ा महल है. जयपुर शहर के ‘सिटी प्लेस’ के पास ही मौजूद ये इमारत किसी अजूबे से कम नहीं है. 15 मीटर ऊंचाई और 5 मंजिला हवामहल एक पिरामिड की शेप में बना हुआ है, जिसमें कुल 953 खिड़कियां हैं जो हवा के झरोखे की तरह हैं. इसी कारण से इसे ‘हवामहल’ कहा जाता है. 

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राजपुतनाओं की शानो-शौकत को बयां करता ‘हवामहल’ लाल गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित है. हवामहल का निर्माण आमेर के महाराजा ‘सवाई प्रताप सिंह’ ने करवाया था. महाराजा ‘सवाई प्रताप सिंह’ ने हवामहल का निर्माण अपने महल की महिलाओं के लिए किया था ताकि वो महल के झरोखों से उत्सवों का आनन्द ले पाएं. गर्मियों में राजपूत महिलाएं इसी महल में आया करती थीं. उस दौर में यहां कठपुतली और शतरंज के खेल हुआ करते थे. 

बेहतरीन कारीगरी का नमूना पेश करता हवामहल की दीवारों ,खम्बों और झरोखों पर मुग़ल और राजपूत शैली की झलक मिल जाती है. 

2- गागरोन का क़िला (1592) 

राजस्थान के झालावाड़ ज़िले में स्थित ये क़िला चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है. ये भारत का एकमात्र ऐसा क़िला है जो बिना नींव के सैकड़ों वर्षों से खड़ा है. गागरोन का क़िला अपने गौरवमयी इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है. सैकड़ों साल पहले जब यहां के शासक अचलदास खींची, मालवा के शासक होशंग शाह से युद्ध में हार गए थे तो यहां की राजपूत महिलाओं ने ख़ुद को दुश्मनों से बचाने के लिए जौहर (आग में जलकर जान देना) कर लिया था. 

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ये उत्तरी भारत का एकमात्र ऐसा क़िला है जो चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है. इस वजह से भी इस क़िले को ‘जलदुर्ग’ के नाम से भी जाना जाता है. सामान्यतया सभी क़िलों के दो ही परकोटे हैं लेकिन ये एकमात्र ऐसा क़िला है जिसके तीन परकोटे हैं.   

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