महिलाओं के लिए भले ही ‘Lotus Birth’ ट्रेंड हो, लेकिन बच्चों के लिए ये बेहद ख़तरनाक है

Akanksha Tiwari

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को ज़्यादा सर्तकता बरतने की सलाह दी जाती है, लेकिन क्या कभी ऐसी महिला के बारे में सुना है, जो इस दौरान डॉक्टर की बातों को ही अनसुना कर दे.

यूके (United Kindom) में गर्भवती महिलाएं एक नए अंदाज़ में बच्चों की डिलीवरी करा रही हैं, या यूं कहें कि इसका चलन चल गया है. यहां महिलाएं बच्चों का पालन-पोषण प्राकृतिक तरीके से करना चाहती हैं. 

इसलिए वो ‘Lotus Birth’ का चयन कर रही हैं. नवजात शिशु के जन्म के दौरान, जब उसका गर्भनाल न काटा जाए, तो उसे ‘Lotus Birth’ कहते हैं. 

प्रग्नेंट महिलाओं में ‘Lotus Birth’ का ख़ासा क्रेज़ देखा जा रहा है. वहीं डॉक्टर इस नए चलन से काफ़ी चिंतित नज़र आ रहे हैं, उनके मुताबिक, ये प्रकिया बिल्कुल सेफ़ नहीं है. इस तरीके बच्चे में इंफ़ेक्शन फैलने का ख़तरा बना रहता है.

‘Lotus Birth’ में Placenta और गर्भनाल को अलग नहीं किया जाता है. इसे किसी टब, मटके या फिर थैले में बहुत ही साफ़-सफ़ाई के साथ रखा जाता है, ताकि इसमें किसी तरह के किटाणु और बदबू न आए. कुछ दिनों में गर्भनाल सूख कर अपने आप ही अलग हो जाती है. अमूनन इसमें 10 दिन का समय लग जाता है.

पेशे से Advocate दंपत्ति का कहना है, ‘Lotus Birth’ जादुई रूप से काम करता है. नवजात शिशुओं में इसका काफ़ी लाभ देखा जा सकता है.’

वहीं Gentle Birth की ऑथर Dr. Sarah Buckley, ‘Lotus Birth’ को अच्छा बता रही हैं, उनके मुताबिक, ‘Lotus Birth’ के बाद मां और बच्चे का रिश्ता काफ़ी गहरा हो जाता है और इस तरीके से बच्चा अस्पताल के बेवजह के नियम और कानून से भी दूर रहता है. इसे आप प्राकृतिक तरीका भी कह सकते हैं. 

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