ज़रूरी नहीं कि जो शब्दों से बयां किया जा सके, वो ही दर्द होता है, कुछ ऐसी ही कहानी कहती है ये तस्वीर

Rashi Sharma

एक फ़ोटोग्राफ़र द्वारा खींची गई Mother Monkey (मादा बन्दर) और उसकी गोद में अचेत अवस्था में पड़े उसके बच्चे की नीचे दी गई ये तस्वीर, एक मां के दर्द को बखूबी बयां कर रही है. कुछ समय पहले भावुक करने वाली ये फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी, लेकिन किसी को इस फ़ोटो के पीछे की दर्दनाक कहानी का अंदाज़ा भी नहीं था. लेकिन आज हम आपको इसके पीछे की कहानी बताएंगे.

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अपने अन्दर हज़ारों शब्द समेटे हुई इस फ़ोटो को मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहने वाले और एक प्रोफ़ेशनल फ़ोटोग्राफ़र अविनाश लोधी ने खींचा है.

अविनाश लोधी ने बताया कि जब वो जबलपुर में बंदरों की एक जनजाति की तस्वीरें ले रहे थे, तब ही अचानक एक Mother Monkey ने उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. इसके साथ ही वो कहते हैं ‘ये फ़ोटो मेरे दिल के बहुत करीब है. ये फ़ोटो मैंने पिछले महीने अप्रैल में खींची थी. अपने फ़ोटोग्राफ़ी के इतने सालों के करियर में मैंने कभी भी किसी भी जानवर के ऐसे भावों और दृश्यों को अपने कैमरे में कैद नहीं किया था और ना ही इससे पहले मैंने ऐसा कोई दृश्य देखा था.’

इसके बाद अविनाश ने बताया कि अचानक ही बन्दर का एक बच्चा नीचे गिरा और बेहोश हो गया और तब उसकी मां के चहरे के भाव बहुत ही चौकाने वाले थे. उसका चेहरा देखकर मैं हैरान हो गया. ये सब बहुत ही जल्दी हुआ. मैंने फ़ोटो तो खींच ली, लेकिन करीब एक घंटे तक मैं सन्न रहा और कुछ बोल नहीं पाया.

ये ज़रूरी नहीं है कि जो शब्दों से बयां किया जा सके, वो ही दर्द का एहसास होता है या दर्द होता है, बल्कि एक तस्वीर भी अपने अन्दर दुःख और दर्द के एहसास को छुपा सकती है. इस फ़ोटो में एक मां की पीड़ा साफ़ झलक रही है. उसका दर्द भी बिलकुल इंसान जैसा ही है. उसका बच्चा केवल बेहोश था, मगर अपने बच्चे को बेजान देखकर उसकी मां का दिल भर आया और वो रोने लगी.

इस फ़ोटो से साफ़ जाहिर होता है कि जानवरों को भी दुख और दर्द का एहसास होता है. Evolutionary Biologist (विकासवादी जीवविज्ञानी) मार्क बेकॉफ़ का कहना है कि सभी स्तनधारियों (Mammals) में एक सा ही तंत्रिका तंत्र (Nervous System), न्यूरोकेमिकल्स, धारणाएं और भावनाएं होती हैं, और ये सभी मिलकर दर्द का अनुभव कराते हैं.

वहीं Natural History Museum of Los Angeles के शोधकर्ता, Bry Putman ने बताया, ‘जो स्तनधारी जीव नहीं होते हैं, उनके लिए अपने दर्द को दिखाना कठिन होता है क्योंकि वो स्तनधारियों की तरह चेहरे के हाव-भाव नहीं बना पाते हैं. लेकिन इसका अर्थ ये बिलकुल भी नहीं है कि उनको दर्द का अनुभव नहीं होता.

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