स्वाधीनता की लड़ाई में क्रांतिकारियों के साहस और नारों ने हर क्रांतिकारी में आज़ादी की अलख जलाई

Maahi

भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम एक अनोखी मिसाल है. देश को अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ाद कराने के लिए उस समय देश के हर नागरिक ने एकजुट होकर इस महान उद्देश्य के लिए काम किया. हिन्दुस्तान को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए हर वर्ग के व्यक्ति ने बिना अपने प्राणों की परवाह किये आज़ादी की अलख जलाई. क्रांतिकारियों हंसते-हंसते अपने प्राणों को बलिदान कर दिया. उनके बलिदान को ये देश कभी भुला नहीं सकता. जब कभी भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात होती है, तो भगत सिंह, सुखदेव, राजगरु, चंद्रशेखर आज़ाद, लाला लाजपत राय, सुभाषचन्द्र बोस, रामप्रसाद बिस्मिल, अश्फ़ाक उल्लाह ख़ान जैसे क्रांतिकारियों का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है. ये वीर सपूत अपनी जान की परवाह किये बिना ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. इन लोगों ने जाति, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर देश को एक करने का काम किया. भारत मां के ये लाल देश की आज़ादी के लिए अंग्रेज़ों से आख़िरी सांस तक लड़ते रहे.

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन वीर सपूतों से न सिर्फ़ अपने साहस और पराक्रम, बल्कि अपने क्रांतिकारी नारों से भी देश की आज़ादी की जंग लड़ी थी. उस दौर में उनके कई क्रांतिकारी नारों ने हर भारतीय के अंदर आज़ादी की ज्वाला भर दी थी. आज हम क्रांतिकारियों के उन्हीं नारों को लेकर आये हैं, जिनको सुनते ही आज भी हमारे दिल में देशप्रेम का भाव जागृत हो उठता है.

लेकिन जिस देश को आज़ाद कराने के लिए हज़ारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, उसी देश में आज लोग स्वार्थ, भष्टाचार, बेरोज़गारी, महंगाई, रिश्वतखोरी, दहेज आदि बुराइयों की गुलामी कर रहे हैं. अगर हमें अपने देश को दोबारा गुलामी की जंज़ीरों में जकड़ा हुआ नहीं देखना है, तो इन सब बुराइयों को अपने समाज से उखाड़ फेंकना होगा.

तो चलिए आज स्वतंत्रता दिवस के इस मौके पर प्रण लेते हैं कि हम अपने आस-पास से इस तरह की बुराइयों को दूर हटाने के प्रयास शुरू करेंगे. अगर आप मेरी इस बात सहमत हैं तो शेयर और लाइक करें.

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