लॉकडाउन में पिता की दुक़ान पर लगा ताला तो 10 साल की मासूम गुलशफ़ा ने उठाई परिवार की ज़िम्मेदारी

Abhay Sinha

कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने सबसे ज़्यादा नुक़सान हाशिए पर ज़िंदगी गुज़ार रहे लोगों को पहुंचाया है. रोज़गार ख़त्म हो गया, हाथ में कोई बड़ी बचत भी नहीं थी. ऐसे में ज़िंदगी और भी मुश्क़िल हो गई. ऐसी ही कुछ कहानी है यूपी के मुरादाबाद की एक 10 साल की लड़की की, जो मास्क बनाकर बेचती और अपने घरवालों का पेट पाल रही है. 

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indiatimes की रिपोर्ट के मुताबिक़,10 साल की गुलशफ़ा मुरादाबाद के मीना नगर में रहती है. उसके पिता इंतज़ार हुसैन पेशे से दर्ज़ी हैं. किसी तरह वो अपना काम चला रहे थे, लेकिन जब लॉकडाउन हुआ तो सारा काम बंद पड़ गया. ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी और दो बेटियों संग घर पर ही मास्क बनाना शुरू किया. 

जो मास्क घर पर तैयार होते हैं, उनको बेचने की ज़िम्मेदारी 10 की मासूम गुलशफ़ा के कंधों पर है. वो घर-घर जाकर इन मास्क को बेचती है. यूं तो एक मास्क की कीमत 10 रुपये है, लेकिन कोई अगर दो मास्क ले लेता है तो वो उन्हें 15 रुपये भाव लगा देती है. 

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सिर्फ़ यही नहीं, पुलिसकर्मियों और हेल्थ वर्कस को वो मुफ़्त में ही मास्क दे देती है. गुलशफ़ा हर रोज़ सुबह साइकिल से ही घर से निकलती है और रात तक बमुश्क़िल 50 से 100 रुपये कमा पाती है. 

बता दें, ये कहानी देश में बहुत से लोगों की है. हर रोज़ कुंआ खोदकर प्यास बुझाने वाले लोग लॉकडाउन के चलते बेसहारा हो गए हैं. उन पर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है. पहले भी वो किसी तरह गुज़र-बसर करते थे लेकिन 3 मई तक चलने वाली देशव्यापी बंदी ने उन्हें तोड़कर रख दिया है. ऐसे में उन्हें कई दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है. 

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