ज़मीन बेच कर महंगी गाड़ियां खरीद ली, बंगले बना लिए, पर बेटियों को पेट में मारना कब बंद करोगे भाई?

Sumit Gaur

गुड़गांव, फरीदाबाद और बहादुरगढ़ जैसे शहरों को देख कर साफ़ लगता है कि हरियाणा विकास की दौड़ में देश के अन्य राज्यों से आगे निकलने की पूरी कोशिश कर रहा है. प्रॉपर्टी के बढ़ते हुए रेटों ने यहां के रहने वाले मूल निवासियों के जीवन स्तर को न सिर्फ़ बदला है बल्कि उन्हें लक्ज़री लाइफ़स्टाइल से भी जोड़ा है.

बड़े-बड़े मॉल और ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स MNCs को देख ये अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है कि ये वही हरियाणा है, जो 10-15 साल पहले तक बच्चियों को पेट में ही मारने की वजह से चर्चा में था. करनाल, झज्जर जैसे ज़िलों के कई गांवों में ये आलम था कि यहां बिहार, नेपाल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से लड़कियों को खरीद कर लाया जाता था और लड़कों की शादियां कराइ जाती थी.

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ख़ैर इस सोच में बदलाव तब आने लगा, जब कल्पना चावला जैसी बेटियां कुरुक्षेत्र जैसे शहरों से निकल कर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने लगी. शायद पहली बार अकसर गलत फ़ैसले लेने वाली खाप ने भी सही फ़ैसले लेना शुरू किया और अपने मंच से खुल कर ‘बेटी बचाओ’ के नारे को बुलंद करने लगी.

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अब देख कर यही लगता है कि लोगों की सोच बदलने के साथ ही हालात भी बदलने लगे हैं. बाहर से देखने में भले ही ऐसा लग रहा हो कि सब कुछ सही है, पर वास्तविकता यही है कि अब भी लोगों के अंदर लड़का पाने की चाहत नहीं मरी है.

हाल ही में सिरसा के मौजूखेड़ा गांव में एक 55 वर्षीय महिला ने घर में बेटा न होने की वजह से अपनी 4 साल की पोती का गुप्तांग जला दिया. इस हफ़्ते में ये ऐसी दूसरी घटना है, जहां लड़के की चाहत में किसी के साथ ऐसा किया गया हो. इससे पहले हिसार में लड़के की चाहत में ससुराल वालों ने अपनी बहू को ज़िंदा जला दिया था. ये तो वो ख़बरें हैं, जो मीडिया के ज़रिये लोगों के सामने आ गई जबकि बहुत-से वाकये ऐसे हैं, जिन्हें नोटों के बंडलों के नीचे दबा दिया जाता है.

सरकार और प्रशासन की नाक के नीचे अकेले गुड़गांव में दर्जनों ऐसी मेडिकल लैब हैं, जहां पैसे दे कर लोग आसानी से पैदा होने वाले बच्चे का लिंग जांच करा सकते हैं. बस इसके लिए एक अच्छी जान-पहचान और भरोसा जीतने वाले शख़्स की ज़रूरत है. खुले तौर पर कोई भी मेडिकल लैब इस बात को स्वीकार न करें, पर इस हक़ीक़त से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि हरियाणा में अब भी लड़कियां पैदा होने से पहले ही मार दी जाती हैं.

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इस क्रम में वैद्य से ले कर घरेलू नुस्खे बताने वाले लोग भी शामिल हैं, जो विज्ञान के क्रोमोज़ोम और XY फैक्टर को चुनौती देते हुए उपाय बता कर शर्तिया लड़के पैदा होने का दावा करते हैं. ऐसा लगता है कि ‘बेटी बचाओ’ जैसे सरकार के तमाम प्रयास और योजनाएं भी इन लोगों की संकीर्ण सोच के सामने विफल हो चुकी है. ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं ‘म्हारा नंबर 1 हरियाणा’?

Feature Image Source: abolishabortionfresno

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