यूं तो दर्द की ज़बां नहीं होती, पर फ़िराक़ गोरखपुरी ने दिए थे प्यार करने वालों के दर्द को अल्फाज़

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फ़िराक़ गोरखपुरी (रघुपति सहाय) उर्दू के मशहूर शायर थे. सन 1970 में उनके उर्दू काव्य ‘गुले नग्मा’ के लिए उन्हें ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया. साहित्य अकादमी और पद्मभूषण पुरस्कारों से सम्मानित फ़िराक़ का जन्म आज ही के दिन हुआ था. दैनिक जीवन को भारतीय संस्कृति और लोकभाषा के प्रतीकों से जोड़कर फ़िराक़ ने अपनी शायरी का अनूठा महल खड़ा किया. 

ये हैं उनकी कुछ प्रसिद्ध नज़्में.

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