भारत और बर्मा बार्डर पर बसा शहर नागालैंड. इस शहर की चकाचौंध से थोड़ा किनारे बसी नागा जनजाति, एक ऐसा समूह जिसके लिए अपने दुश्मनों का सिर काट के लाना आज भी शौर्य की बात होती है.
हालांकि, ये प्रथा औपचारिक रूप से 1970 में ख़त्म हो चुकी है, लेकिन आज भी यहां के कच्चे घरों में नर कंकाल किसी जीते हुए पुरस्कार की तरह सजाए जाते हैं. घर में भैंसों के सिर के कंकाल समृद्धि का प्रतीक होते हैं और शरीर पर टैटू व पारंपरिक आभूषण इनकी पहचान है.
ये तस्वीरें कैद की हैं ब्रिटिश फ़ोटोग्राफ़र Pete Oxford ने. उन्होंने बताया कि ये समुदाय नरभक्षी नहीं है, न ही इनमें से किसी ने फ़ोटो कैद करते वक़्त उन्हें डराया या नुक्सान पहुंचाया.
उन्होंने बड़ी खुशी-खुशी अफ़ीम पीते हुए उनका सहयोग किया. Pete इस समुदाय में उस व्यक्ति को खोज रहे थे, जो किसी लड़ाई में दुश्मन का सिर काट कर लाया हो.
इस समुदाय में दुश्मन का सिर काट कर लाना बड़ी धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. उसे बकायदा एक स्पेशल बास्केट में रखा जाता है और फिर घर पर सजाया जाता था.
Pete ने बताया कि एक मुख्य Ang, जिनके घर वो गए थे, उनका घर आधा भारत में और आधा बर्मा में पड़ता है. Ang और उनके दो दोस्तों ने उनकी मेज़बानी की.
वो बिना Visa के इन गांवों में टहलते रहे. उन्होंने बताया कि वो दिवाली के वक़्त वहां गए थे, जहां बाकी भारत में ये त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा था, इस गांव में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. वहां का हर व्यक्ति बड़ा दोस्ताना था और Pete की मेज़बानी में लगा था. Pete दुनियाभर घूम कर ऐसे समुदाय के लोगों को अपने कैमरे में कैद करते हैं.