‘नुकसान हुआ तो मेरा और मुनाफ़ा हुआ तो आपका’, इस तरह रखी थी धीरूभाई अंबानी ने Only विमल की नींव

J P Gupta

जिस रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को आज देश का बच्चा-बच्चा जानता है, उसकी नींव रखने वाले थे धीरूभाई अंबानी. कहते हैं कि उनके जैसा व्यापारी भारत में आज तक नहीं हुआ. वो हमेशा दूर की सोचते थे और उनकी इसी ख़ासियत की वजह वो एक सफ़ल व्यवसायी बने. उनके बारे में बहुत से किस्से और कहानियां सुनी होगीं. आज हम आपको धीरूभाई अंबानी से जुड़ा एक ऐसा ही किस्सा सुनाएंगे, ये किस्सा है फ़ेमस कपड़ा ब्रांड विमल की शुरुआत का.

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धीरूभाई अंबानी जब यमन से भारत आए, तो उन्होंने देश के व्यापार पर बारीकी से रिसर्च की. उन्होंने पाया कि देश में पॉलिएस्टर के कपड़े की बहुत डिमांड है. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 1996 में एक टेक्सटाइल कंपनी की शुरुआत की.

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विमल सूटिंग शर्टिंग नाम की ये कंपनी उन्होंने अहमदाबाद के नरौदा में लगाई थी. इसकी तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए वो हर वीकेंड मुंबई से अहमदाबाद आते थे. यहां वो कंपनी और कर्मचारियों की सारी दिक्कतों को सुनते और उन्हें हल भी करते.

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मशीनें लग चुकी थीं, कपड़े का उत्पादन भी भारी मात्रा में कर लिया गया था लेकिन उन्हें बाज़ार में उतरने से रोकने के लिए दूसरे टेक्सटाइल मालिकों ने एक चाल चली. उन्होंने अपने सभी वितरकों (रिटेलर्स) से कह दिया कि अगर धीरूभाई से माल ख़रीदा, तो वो उन्हें आगे से माल नहीं देंगे.

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मगर कपड़ा मिलों के मालिकों की ये साज़िश भी धीरूभाई को रोक न सकी. धीरूभाई पूरे देश में घूमे और वितरकों को भरोसा दिलाया कि उनसे माल ख़रीदें. उन्होंने सभी रिटेलर्स से वादा किया था कि, अगर नुकसान होगा तो उनके पास आना और मुनाफ़ा हुआ, तो अपने पास रखना. साथ ही उन्होंने नए कपड़ा व्यापारियों को भी खड़ा कर दिया.

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धीरूभाई की ये बात थोक व्यापारियों को भा गई और उन्होंने जमकर उनसे कपड़ा ख़रीदा. चूंकी पॉलिएस्टर की क्वालिटी बहुत ही बढ़िया थी, विमल के कपड़े की डिमांड मार्केट में तेज़ी से बढ़ने लगी. एक मौका ऐसा आया, जब एक ही दिन में देशभर में विमल के 100 शोरूम्स का उद्घाटन किया गया.

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विमल उस ज़माने का नंबर वन पॉलिएस्टर ब्रांड था. इस क्षेत्र में सफ़लता मिलने के बाद ही धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की नींव रखी थी.  

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