ये कहानियां साबित करती हैं कि इंसानियत गुज़रे ज़माने की बात नहीं है, ये हमारे आस-पास ही मौजूद है

Kundan Kumar

इंसानियत पर भरोसा इकलौती ऐसी चीज़ है, जिसकी वजह से आज भी इंसान समाज में साथ रहते हैं. बुरे वक़्त में एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं और अच्छे वक़्त में खुशियां बाटते हैं. अगर ये भरोसा न हो तो हमारा इंसान होना बेमानी है.

वैसे तो हमारे आस-पास ही दर्जनों ऐसी घटनाए होती हैं, जिससे इंसानियत पर से हमारा भरोसा उठता जाता है. लेकिन तभी कुछ लोग बुझती उम्मीद की किरण को फिर से हवा दे देते हैं.

कुछ ही दिनों पहले की ये घटनाएं मिसाल हैं, जो इंसानियत की मशाल जलाए हुए हैं:

1. 61 वर्षिय प्रेमलता गहलोत दिल की मरीज़ हैं. इलाज के लिए अपने पत्नि के साथ जोधपुर गई थीं. वहां उनकी बाईपास सर्जरी होने वाली थी. इसलिए अपने साथ ये बुज़ुर्ग दम्पति अपनी ज़िंदगीभर की कमाई भी जोधपुर लेकर गई थी. लेकिन बदकिस्मती से अस्पताल के बाहर ऑटोरिक्शा में वो पैसे छूट गए. परेशान हालत में वो थाने पहुंचे, उम्मीद की लौ बुझ चुकी थी.

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परेशान हालत में वो थाने पहुंचे, उम्मीद की लौ बुझ चुकी थी. तभी उन्हें ढूंढता हुआ एक ऑटोवाला थाने आता है और वो पैसे लौटा देता है.

2. राधिका अपनी पांच साल की छोटी बहन के साथ जोधपुर की नवजीवन संस्था में रहती है.दो साल पहले केंसर की वजह से उसकी मां का देहांत हो गया था. पिता ने दोनों बेटियों क की ज़िम्मेदारी उठाने से इंकार कर दिया. इन दोनों बच्चियों की ज़िंदगी वैसे ही बसर हो रही थी जैसे एक अनाथ की होती है. 

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तभी इनकी ज़िंदगी में कैनेडा से दो फ़रिश्ते आए David और Violet Krahn, ये पति-पत्नी इन्हें गोद लेने के इच्छुक थे. राधिका और उनकी छोटी बहन को नया घर मिल गया. अब राधिका अंग्रेज़ी सीखने के लिए स्थानीय इंग्लिश स्कूल जाती है.

3. बेंगालुरु के एक NGO की पहले से शहर में कुल पांच जगह कम्युनिटी फ़्रिज लगाई गई है. इस फ़्रिज में लोग बचा हुआ खाना साफ़-सुथरे तरीके से पैक कर के छोड़ जाते हैं. ग़रीब और भूखे लोग बिना किसी रोक-टोक के इस फ़्रिज से खाना निकाल कर खा सकते हैं.

City Kemp

 हर रोज़ तकरीबन 500 से लोगों का पेट शहर में रखे इन फ़्रिजों के माध्यम से भर जाता है.

4. रमन पंडित पांच साल का था जब उसके पिता ने गुस्से में आकर उसकी मां की हत्या कर थी. इसके बाद से पिता को जेल हो गई, बेटा कभी उनसे मिलने नहीं गया, ना ही वो अपने पिता से किसी प्रकार का राबता रखना चाहता था. आठ साल पहले सज़ायाफ़त पिता अपने बेटे से एक NGO की मदद से मिल पाएं. 

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रमन पंडित अपने पिता के हरकत से शर्मशार था. बाद में दोनों के बीच चिट्ठियों द्वारा बाते होने लगीं. रिश्तें थोड़े बेहतर हुए. कुछ दिनों पहले पिता की सज़ा पूरी हो गई, अब वो अपने बेटे के साथ ही रहता है. दोनों के बीच एक बाप-बेटे का नहीं, दोस्त का रिश्ता है.

5. कुछ दिनों पहले केरल की एक कॉलज छात्रा को इंटरनेट पर इसलिए ट्रोल किया जा रहा था क्योंकि वो अपने कॉलेज के बाहर ही मछली बेचती थी. 21 साल की Hanan अपनी पढ़ाई का ख़र्च निकालने के लिए ऐसा करती थी. इंटरनेट पर लोग इसे पब्लिसिटी स्टंट बता रहे थे.

India Times

 ख़ैर, Hanan को मदद देने के लिए कई लोगों ने आर्थिक सहायता भी प्रदान की. अभी पूरा केरल बाढ़ में डूबा हुआ है. सोश्ल मीडिया पर लोग डोनेशन के लिए गुहार लगा रहे हैं. Hananने भी केरल की मदद की, पढ़ाई के लिए मिले डेढ़ लाख रुपयों को उसने मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया. उसका कहना था ज़रूरत के वक़त लोगों ने उसकी मदद की आज केरल के लोगों को इन पैसों की ज़्यादा ज़रूरत है.

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