हमारे देश में एक नौकरी का क्रेज़ शुरू से रहा है. वो है सिविल सर्विसेज़. हो भी क्यों न रुतबा, शौहरत और ताकत का सही तालमेल इस नौकरी में मिलता है. लेकिन इन ताकतों के साथ ज़िम्मेदारियां भी आती हैं. राज्य और जिले के लोगों को उनका हक और सुविधा दिलवाना भी इन्हीं IAS और IPS ऑफ़िसर की ज़िम्मेदारी होती है. देश में कई ऑफ़िसर ऐसे हैं, जिन्होंने ईमानदारी की मिसाल पेश की है और कुछ ऐसे भी ऑफ़िसर्स हुए, जिन्हें अपनी ईमानदारी की कीमत अपनी जान गवां कर देनी पड़ी. आज उन्हीं ईमानदार और कर्मठ ऑफ़िसर्स के बारे में आपको बताते हैं, जिन्होंने अपने काम को अपनी मौत के डर से भी नहीं छोड़ा.
1. सतेंद्र दुबे
National Highway Authority के सतेंद्र दुबे प्रोजेक्ट मैनेजर थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई माफ़ियाओं के खिलाफ़ मुहीम छेड़ी थी. गया में पोस्टेड सतेंद्र अपनी ईमानदारी के लिए पूरे देश में फ़ेमस थे. कई प्रोजेक्ट में धांधली और घपले का खुलासा उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के सामने किया था. कई माफ़ियाओं ने उन्हें खरीदने की कोशिश भी की, लेकिन वो नहीं बिके और इसी कारण वो इन लोगों की आंखों में खटने लगे. 27 नवम्बर 2003 को सतेंद्र दुबे की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
2. Shanmugam Manjunath
Indian Oil Corporation Ltd. के सेल्स मैनेजर के रूप में नियुक्त Shanmugam की हत्या यूपी के लखीमपुर खीरी में कर दी गई थी. कारण था एक पेट्रोल पम्प मालिक द्वारा की जा रही धांधली का पर्दाफ़ाश करना. 19 नवम्बर 2005 को Shanmugam को घेर कर मोनु मित्तल नाम के पेट्रोल पंप मालिक ने गोली मार दी थी. हांलाकि, इनके हत्यारों को कोर्ट ने सजा सुनाई, लेकिन देश के एक ईमानदार ऑफ़िसर की कमी नहीं पूरी हो पाई.
3. यशवंत सोनवाने
Additional Collector के रूप में नासिक में नियुक्त यशवंत अपने ड्राइवर और जूनियर के साथ एक मीटिंग के लिए जा रहे थे. उन्होंने कुछ पेट्रोल टैंक को गैरक़ानूनी गतिविधी करते हुए एक ढाबे पर देखा. उन्होंने गाड़ी रुकवाई और इसे रोकने के लिए आगे बढ़े. लेकिन उन माफ़ियाओं ने मिल कर यशवंत को उसी जगह ज़िंदा जला दिया.
4. नरेंद्र कुमार सिंह
बिहार कैडर के बहादुर ऑफ़िसर्स में से एक नरेंद्र कुमार की हत्या मध्य प्रदेश के भू माफ़िया ने कर दी थी. अपनी ड्यूटी के दौरान उन्होंने एक ट्रेक्टर को गैरक़ानूनी तरीके से पत्थर ले जाते हुए देखा. उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन ट्रेक्टर पर सवार मनोज गुर्जर ने ट्रेक्टर की स्पीड बढ़ा दी. मनोज ने नरेंद्र कुमार को मारने के लिए ट्रेक्टर उनकी तरफ़ मोड़ दिया और इसकी चपेट में आकर नरेंद्र कुमार की मौत हो गई.
5. आर. विनील कृष्णा
इस IAS ऑफ़िसर की हत्या ओडिशा के नक्सलियों ने कर दी थी. ये नक्सली ओडिशा के दुर्गम इलाकों में बिजली की सप्लाई से खुश नहीं थे. आर. विनील की पहल पर ही इन इलाको में बिजली पहुंच पाई थी, जिस दिन सिलिगुमा नाम के गांव में बिजली पहुंची, उसी दिन इन नक्सलियों ने गोलियों से भून कर आर. विनील की हत्या कर दी थी.
6. नीरज सिंह
नीरज सिंह को न तो किसी माफ़िया और न ही किसी नक्सलियों ने मारा. उनकी हत्या गांव के करीब 150 लोगों ने की. इसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे. कारण था कि उस गांव में लोग पेट्रोल में कैरोसिन मिला कर बेचते थे और इसे रोकने के लिए नीरज सिंह ने वहां रेड मारी थी. इसके बाद जब वो वहां की कुछ दुकानों से सैम्पल ले कर वापिस जा रहे थे, तब पूरे गांव ने एक साथ उन पर हमला कर दिया और उन्हें जिंदा जला दिया.
7. डि.के. रवि कुमार
रवि कुमार की लाश उनके घर में पंखे से लटकी हुई मिली थी. पुलिस वालों ने पहले इसे आत्महत्या करार दिया. लेकिन वहां किसी भी प्रकार का कोई नोट नहीं मिला. बताया जाता है कि उनकी हत्या बालू माफ़ियाओं द्वारा कर दी गई थी और इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई रियल स्टेट माफ़िया और बालू माफ़ियाओं पर लगाम लगाई थी और यही ईमानदारी उनकी मौत का कारण बनी.