अब हल्की और सस्ती बुलेट प्रूफ़ जैकेट बन सकेंगी, एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने खोजी नई तक़नीक

J P Gupta

3D प्रिंटिंग ने वैज्ञानिकों की सोच को यथार्थ में बदलने में काफ़ी मदद कर रही है. ऐसे ही एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक और उनकी टीम ने इस तक़नीक की मदद से प्लास्टिक के एक क्यूब को बुलेट प्रूफ़ बनाने में सफ़लता हासिल कर ली है.

अमेरिका की Rice University के शोधकर्ताओं ने ये नया कीर्तिमान हासिल किया है. उन्होंने 3D प्रिंटिंग की मदद से ऐसा पैटर्न डिज़ाइन किया है जिससे प्लास्टिक को बुलेट प्रूफ़ बनाया जा सकता है. इसकी मदद से बना प्लास्टिक हीरे के जितना ही कठोर बन जाता है. 

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इसके पीछे वो थ्योरी है जिसे आपने भी अपने बचपन में पढ़ा होगा. इसके मुताबिक, एक आयत की तुलना में त्रिकोण की कहीं अधिक मज़बूत Structural Integrity होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने एक क्यूब के सभी कोणों की गहराई से जांच की.

इसके बाद उन्होंने इसकी Structural Integrity बढ़ाने के लिए नए पैटर्न्स बनाए. Tubulanes द्वारा बनाए गए ये पैटर्न्स बहुत ही मज़बूत हैं. इसके बाद उन्होंने एक बड़ा प्लास्टिक का क्यूब बना कर उस पर टेस्ट किए.

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उन्होंने ऐसे दो क्यूब तैयार किए और इन पर 5.6 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से जाने वाली गोलियां शूट की. ये गोली इन दोनों क्यूब को थोड़ा ही नुकसान पहुंचा सकी. इससे वैज्ञानिक इस नतीजे से पहुंचे की प्लास्टिक के क्यूब में बने ये पैटर्न गोली यानी फ़ोर्स को अवशोषित करने में सक्षम हैं. इसी के चलते गोली उनकी पहली परत को ही तोड़ पाई जबकि बाकी का हिस्सा वैसे का वैसा ही रहा. 

इस क्रांतिकारी खोज मतलब ये है कि अब वैज्ञानिक महंगी और दुर्लभ वस्तुओं के बिना भी मज़बूत चीज़ें विकसित कर पाएंगे. साथ ही ये उनकी तुलना में हल्का और काफ़ी सस्ता होगा.

इसकी मदद से अब भविष्य में हल्की और सस्ती बुलेट प्रूफ़ जैकेट बनाई जा सकेंगी. है न कमाल की खोज? 

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