इन 7 हिन्दू देवियों ने साबित किया कि भारतीय समाज में महिलाएं ही सर्वोपरि हैं

Bikram Singh

भारतीय समाज में महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों को काफ़ी तवज्जो दी जाती है. घर से लेकर देश की नीति तक, पुरूषों के फैसलों को अति महत्वपूर्ण माना जाता है. जब-जब महिलाओं ने अपनी आवाज़ उठाने की कोशिश की है, तब-तब पुरुषों ने उसे दबाने की पुरजोर कोशिश की है. खाप पंचायत हो या फ़िर तुगलकिया फरमान, हर जगह समाज के पुरुष वर्ग ने महिलाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिश की है. जनसंख्या के लिहाज़ से महिलाओं की संख्या पुरूषों के बराबर ही है, लेकिन सहभागिता के हिसाब से ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया है. हालांकि, शुरुआत से ऐसा नहीं था. अगर हिन्दू माइथोलॉजी की मानें तो हम पाते हैं कि कई देवियां हैं, जिन्होंने अपनी शक्ति की बदौलत पूरे समाज की रक्षा की है. मानवों के कल्याण के लिए इन्होंने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. जिनकी वजह से महिलाएं और पुरुष, आज भी इनकी पूजा करते हैं. आइए हम आपको ऐसी ही देवियों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने अपनी शक्ति का प्रयोग बुराई को ख़त्म करने के लिए किया था.

1. मां दुर्गा

देवी दुर्गा को हिन्दू धर्म में एक शक्तिशाली देवी के रूप में देखा जाता है. मानव भलाई के लिए इन्होंने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था. इससे पूरे मानव जीवन को राहत मिली. आज मां दुर्गा को महिलाओं के अलावा पुरुष भी पूजा करते हैं.

2. मां काली

आमतौर पर देखा जाता है कि मां काली की पूजा तांत्रिक करते हैं. कई जगहों पर लोग मां काली को शक्ति के रूप में देखते हैं और इनकी पूजा करते हैं. महिलाएं, काली मां से विशेष श्रद्धा रखती हैं. काली मां को शक्ति का प्रतीक माना जाता है. उनके उग्र रूप से पूरी दुनिया भयभीत होती है.

3. मां सीता

अगर कोई पुरुष अपने लिए पत्नी की कल्पना करता है तो बिल्कुल सीता की तरह. देवी सीता मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पत्नी थीं. मां सीता ने मानव भलाई के लिए बहुत कष्ट झेला. उन्होंने पूरे स्त्री समाज के लिए अपनी आहूति तक दे दी . कई बार महिलाओं के मुहावरों में उनका ज़िक्र होता है.

4. द्रौपदी

इतिहास में अगर किसी को वास्तव में कष्ट झेलना पड़ा है तो वो द्रौपदी हैं. समाज और परिवार की इज्ज़त बचाने के लिए द्रौपदी ने अपनी ज़िंदगी के साथ समझौता किया. पुरुष प्रधान समाज में वे शायद पहली ऐसी महिला थीं जिनके 5 पति थे. पूरे समाज में उनका चीर-हरण हुआ था. महाभारत की लड़ाई द्रौपदी की वजह से हुई थी.

5. शकुंतला

पुरुष प्रधान समाज में शकुंतला नाम की एक ऐसी महिला थीं जिनको प्यार करने की सज़ा मिली. दरअसल, एक राजा से उनको प्रेम हो गया था, उन दोनों से एक बच्चा भी हुआ. बाद में राजा ने उनसे शादी नहीं की और उन्हें जंगल में ही छोड़ दिया. शंकुतला को इस वजह से बहुत कष्ट झेलना पड़ा. लेकिन उन्होंने अपने बेटे को पाल-पोष कर एक योग्य राजा बनाया.

6. उर्वशी

उर्वशी को स्वर्ग की सबसे ख़ूबसूरत अप्सरा माना जाता था. भगवान इंद्र की सभा की वो रौनक हुआ करती थीं. अपनी ख़ूबसूरतूी और मनमोहक अदा से वो सबको मोह लेती थीं. हिन्दू समाज में सुंदर महिलाओं की तुलना उनसे की जाती थी.

7. गार्गी वाचकनवी

भारतीय समाज में महिलाओं को अगर किसी ने आवाज़ दी है तो वे हैं गार्गी वाचकनवी. इनकी पहचान वेदों के ज्ञानी के रूप में की जाती है. वे राजा जनक के मंत्रिमंडल में शामिल पहली महिला थीं. अपनी योग्यता की वजह से इन्होंने आधी अबादी को एक आवाज़ दी है.

बुराई को ख़त्म करने के लिए इन देवियों ने अथक प्रयास किए और सफ़ल भी हुईं. वर्तमान समाज में ऐसी ही महिलाओं की आवश्यकता है. समाज के उत्थान के लिए महिलाओं की भूमिका बहुत ज़रूरी है. महिलाओं में भी वो ताक़त है, जज़्बा है जिससे वो पूरे देश के विकास में भागीदार बन सकती हैं.

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