पाकिस्तान की धरती पर रहकर देश के लिये जासूसी करने वाले ये 6 लोग असल ख़तरों के खिलाड़ी हैं

Akanksha Tiwari

इतिहास के कई ऐसे जासूस हैं, जिनकी चर्चा आज भी होती है. शायद यही उनके कर्म और निष्ठा का सबूत भी है, जो उनके न होने के बावजूद भी आज वो लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं. यही नहीं, कई चर्चित जासूसों की प्रेरित कहानियों पर फ़िल्में तक बनाई जा चुकी हैं. इसलिए आज बात होगी भारत के उन भारतीय अंडरकवर एजेंट्स की, जिन्होंने देश के लिये अपनी जान तक कुर्बान कर दी.  

1. मोहनलाल भास्कर 

मनोहरलाल भास्कर भारत के ऐसे जासूस थे, जिन्होंने देश के लिये अपना ख़तना तक कर लिया. कमाल की बात ये है कि उन्होंने अपने परिवार को इस बात की भनक तक नहीं होने दी. भारत की तरफ़ से उन्हें जासूसी के लिये चुना गया, जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन हुआ और वो मोहनलाल भास्कर से मोहम्मद असलम बन गये. इसके बाद परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया और फिर शुरु हुई असली कहानी.


वतन के मिशन को कामयाब करने पाकिस्तान पहुंचे मोहनलाल की किस्मत शायद उनके साथ नहीं थी. इसलिए भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए एक डबल एजेंट के रूप में काम करने वाले उनके एक सहयोगी ने उन्हें धोखा दे दिया, जिसके बाद पाकिस्तान को उनकी असलियत पता चल गई और मोहनलाल को 14 साल के लिये जेल भेज दिया गया. पाकिस्तान की जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने ‘An Indian Spy in Pakistan’ नामक एक उपन्यास भी लिखा था.   

Cocktailzindagi

2. रवींद्र कौशिक  

रवींद्र राजस्थान के श्री गंगानगर ज़िले के रहने वाले थे और साथ ही थिएटर के मंझे हुए कलाकार भी. वो महज़ 21 वर्ष के थे, जब भारतीय रॉ अधिकारियों की नज़र उन पर पड़ी. इसके बाद उन्हें 2 साल तक उर्दू, इस्लामी धार्मिक ग्रंथ और पाकिस्तान के इलाकों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. वहीं 1975 में 23 साल की उम्र में उन्होंने बतौर जासूस अहमद शाकिर के रूप में पाकिस्तान में पाकिस्तान में कदम रखा और LLB करने के लिए कराची विश्वविद्यालय में दाख़िल हो गये.  


वहीं डिग्री हासिल करने के बाद रवींद्र को कमीशन अधिकारी के रूप में पाकिस्तानी सेना में नौकरी मिल गई और उनके अच्छे काम को देखते हुए, उन्हें मेजर पद दे दिया गया. यही नहीं, इसके बाद उन्होंने अमानत नामक पाकिस्तानी लड़की शादी भी की, जिससे उन्हें एक बेटा था. कहा जाता है कि 1979-1983 के बीच उन्होंने भारत को कई अहम जानकारियां दी. वहीं रॉ ने रवींद्र से मिलने के लिये निचले स्तर के और अन्य जासूस को पाकिस्तान भेजा और उसकी गड़बड़ी की वजह से रवींद्र की असलियत पाकिस्तान के सामने आ गई, जिसके बाद 1985 में उन्हें जेल में डाल दिया गया. 

अपने जीवन के आख़िरी 16 वर्ष उन्होंने मियांवाली जेल में ही बिताए, जहां 2001 में टीबी और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई. वहीं रवींद्र के बहुमूल्य योगदान के लिये पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें ब्लैक टाइगर नाम दिया था.  

Quora

3. कश्मीर सिंह 

35 साल तक पाकिस्तान की जेल में रहने वाले कश्मीर सिंह ने एक दफ़ा भी ये नहीं माना कि वो भारत की तरफ़ से पाकिस्तान जासूसी करने गये थे. रिपोर्ट के अनुसार, देश की सैन्य खुफ़िया जानकारी के लिए नियुक्त होने से पहले वो 480 रुपये के वेतन पर भारतीय सेना में काम करते थे. पाकिस्तान के लाहौर में वो गेस्टहाउस में किराये पर कमरा लेकर रहते थे और शहर-शहर बस से सफ़र करते थे. 


कश्मीर सिंह को पाकिस्तानी सेना के रणनीतिक स्थानों की तस्वीरें खींचने का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन 1973 में एक व्यक्ति द्वारा उनकी वास्तविक पहचान का ख़ुलासा हो गया और भारतीय जासूस के तौर पर उन्हें गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया था.  

Sify

4. अजीत डोभाल 

भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल ने अपनी ज़िंदगी के 7 साल पाकिस्तान में बिताये हैं. एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर उन्होंने भारतीय सेना को कई अहम जानकारियां दी. इसके साथ ही उन्होंने 1989 में ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर’ का भी सफ़ल नेतृत्व किया, जिसका मकसद अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालना था. 


यही नहीं, अजीत डोभाल ने इस्लामाबाद में 6 साल तक भारतीय उच्चायोग में काम किया. वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप कार्य वाले अजीत डोभाल को भारत के दूसरे सर्वोच्च Peacetime Gallantry Award, कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है.  

Rediff

5. सरस्वती राजमणि 

देश की बहादुर महिला का जन्म बर्मा में हुआ था और 1942 में वो सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने में कामयाब रही. देश के लिये कुछ कर करने का ज़ज्बा लिये वो महज़ 16 साल की उम्र में झांसी रेजिमेंट की रानी का हिस्सा बनी, जो INA की सैन्य ख़ुफिया शाखा थी. यहीं अंग्रज़ों से अहम जानकारी हासिल करने के लिये उन्होंने अपनी महिला साथियों के साथ मिलकर लड़कों का रूप धारण किया. 


बताया जाता है कि एक बार सरस्वती का सहयोगी ब्रिटिश सेना की गिरफ़्त में आ गया था, जिसे छुड़ाने के लिये वो डांसर बन कर सेना के कैंप में घुस गई. इस साहसी महिला ने ब्रिटिश सैनिकों को नशा दिया और अपने सहयोगी को बाहर निकालने में कामयाब रही. हांलाकि, इस दौरान उनके पैर में गोली भी लगी लेकिन फिर भी वो रुकी नहीं.  

Medium

6. सहमत ख़ान 

इस महिला जासूस ने पाकिस्तान में दुश्मनों के बीच रहते हुए भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई थीं. साथ ही वो उन चंद सीक्रेट एजेंट में से एक है, जो पाकिस्तान में जासूसी करने बाद भी भारत लौट पाई थीं. दरअसल, 1971 में हुए इंडिया-पाकिस्तान के युद्ध से पहले आर्मी को एक ऐसे जासूस की ज़रूरत पड़ गई थी, जो पाकिस्तान में रह कर उनकी हर हरकत पर नज़र रख सके. इसके लिए एक कश्मीरी बिज़नेसमैन अपनी बेटी सहमत को मनाने में कामयाब हो जाते हैं. 


सहमत कश्मीर की एक युवा लड़की थी. जिस समय वो कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी, उसी दौरान उनके पिता उसे जासूस बनने के लिये कहते हैं. उसे जासूसी का ‘ज’ तक भी नहीं मालूम था. वो फिर भी अपने पिता और देश की ख़ातिर ये करने को तैयार हो जाती है. इसके बाद सहमत ने अपने वतन की ख़ातिर पाकिस्तानी आर्मी ऑफ़िसर से शादी कर ली. निकाह के बाद वो ख़ुफिया तरीके से भारतीय आर्मी को पाकिस्तानी सेना की बहुत सी गोपनीय और अहम जानकारियां देती रही. 

IndianExpress

बहादुरी, देशभक्ति और त्याग की मिसाल इन सभी लोगों को सलाम! 

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