छोटे घरों में पैदा हुए इन लोगों के बड़े सपनों ने ही बनाया इन्हें मुकद्दर का सिकंदर

Sumit Gaur

अगर सच कहूं, तो ऊपर वाला बस हमें बनाता है, पर अपनी किस्मत हमें खुद लिखनी होती है. अब जैसे कल्पना चावला को ही ले लीजिये, अगर कल्पना ने आसमान में उड़ने का सपना नहीं देखा होता, तो क्या हम उनकी बात करते? अपने आस-पास देखें, तो हमें बहुत-सी ऐसी कहानियां और किस्से मिल जायेंगे, जिनमें लोगों ने अपने सपनों को जिया और फ़र्श से अर्श तक पहुंचे. आज हम आपको कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने बुलंद इरादों से खुद अपनी किस्मत लिखी.

धीरू भाई अंबानी

आज जिन अंबानी बंधुओं को आप लाखों-करोड़ों का कारोबार करते हुए देखते हैं. उसकी नींव धीरू भाई अंबानी ने रखी थी, जो कभी गैस स्टेशन पर अटेंडेंट का काम किया करते थे.

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महमूद

‘गुमनाम’ से ले कर ‘पड़ोसन’ जैसी फ़िल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग से लोगों को हंसाने वाले महमूद का सफ़र भी कुछ कम कठनाइयों वाला नहीं रहा. ड्राइवर से ले कर वो सामान बेचने का काम कर चुके थे.

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नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

बॉलीवुड में आज मेथड एक्टिंग की पहचान बन चुके नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी NSD से पास होने के बाद दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर थे. यहां तक कि उन्होंने रात में गॉर्ड का काम तक किया.

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राकेश ओमप्रकाश मेहरा

अपने निर्देशन से बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बना चुके राकेश ओमप्रकाश मेहरा भी कभी घर-घर जा कर वैक्यूम क्लीनर बेचने का काम कर चुके हैं.

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बोमन ईरानी

फ़िल्मों में आने से पहले बोमन ईरानी भी होटल में वेटर के साथ अपनी मम्मी की बेकरी में अस्सिटेंट का काम कर चुके हैं.

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देव आनंद

सदाबहार एक्टर देव आनंद का सफ़र भी कुछ कम मुश्किलों भरा नहीं था. अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए वो कभी सेंसर बोर्ड के दफ़्तर के बाहर मूंगफली बेचा करते थे.

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नरेंद्र मोदी

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचपन भी मुश्किलों भरा रहा है. बचपन में जीविका चलाने के लिए उन्होंने चाय तक बेची, पर कभी अपने सपनों को नहीं मरने दिया.

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