कोविड- 19 पैंडमिक के बाद देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया. सभी को अपने-अपने घरों में बंद रहने पर मजबूर होना पड़ा. इस लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव पड़ा दिहाड़ी मज़दूरों और आर्थिक रूप से कमज़ोर, सड़कों पर रहने वाले लोगों पर.
36 वर्षीय अनिल बीते 1 महीने से कम से कम 8 लोगों को खाने के पैकेट और पानी मुहैया करवा रहे हैं. हेल्थ रिस्क और कम आय के बावजूद अनिल लोगों की मदद कर रहे हैं.
रेस्टोरेंट और दुकान बंद होने की वजह से सड़क पर रह रहे लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. जब मैंने Melkadakkaavoor के बाशिंदों से ये लोगों की मदद करने का आईडिया शेयर किया तो वे सभी मदद करने को तैयार हो गए. मैं घरों से खाना इकट्ठा करता हूं और लोगों में बांट देता हूं.
-अनिल कुमार
अनिल ने बताया कि वो ऑटोरिक्शा लेकर चलते हैं और लोगों को खाने के पैकेट देते हैं. अनिल ने ये भी बताया कि पैंडमिक की वजह से लोग ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और इस वजह से उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
कोविड- 19 आउट ब्रेक से पहले मैं रोज़ाना 1000-1200 कमा लेते था. अब मेरी कमाई 200-500 ही हो पाती है. मैंने बीते 3 महीने से अपने घर का किराया नहीं दिया है. मुझे किराया और ऑटो का किराया भी देना है और इतनी कम कमाई से पेट्रोल का ख़र्च भी.
-अनिल कुमार
इतनी समस्याओं के बावजूद अनिल लोगों की मदद करके ख़ुश हैं.
ये 8 लोग रोज़ मेरा इंतज़ार करते हैं. उन्हें खाना खिलाना मेरी ज़िम्मेदारी है. खाने के पैकेट मिलने पर उनके चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. थोड़े से खाने में ही वे संतुष्ट हैं.
-अनिल कुमार
किसी की मदद करने के लिए दिल बड़ा होना चाहिए, अनिल की कहानी इस बात को सच साबित करती है.