फ़िल्मों में तो आपने कई ख़ूबसूरत गांव देखे होंगे. मूवी देखते वक़्त लगभग सभी शहरवासियों के मन में एक ख़्याल ज़रूर आता है, कि क्या वाकई फ़िल्म में जैसे गांव दिखाए गए हैं, वो बिल्कुल वैसे ही होते हैं. बड़े शहरों में बड़े होने की वजह से कई लोगों को ये तक नहीं पता होता कि हकीकत में गांव होते कैसे हैं ?
आज हम आपको दिखाते हैं 15 ऐसे गांवों की तस्वीर, जिनके बारे में जानने के बाद आप अपना शहर छोड़ने के लिए तैयार हो जाएंगे.
1. Dharnai, Bihar
जहां कई गांव अपनी मूलभूत आवश्यकता, बिजली पाने के लिए आज तक संघर्ष कर रहे हैं. वहीं बिहार के धरनाई गांव के लोगों ने अपनी मेहनत के दम पर गांव का भाग्य बदला और सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला गांव बन गया. ग्रीनपीस ने धरनई गांव में सौर ऊर्जा चालित माइकोग्रिड की स्थापना की, जो 100 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर रही है.
2. Payvihir, Maharashtra
महाराष्ट्र के Payvihir गांव ने पूरे विश्व में मिसाल कायम की है. NGO और यहां के ग्रामीणों ने मिलकर एक बंजर भूमि को हरा-भरा बना कर, सभी को चकित कर दिया था. 182 हेक्टर जमीन को हरा-भरा करने के लिए 2014 में गांव को United Nation’s Development अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया था.
3. Hiware Bazaar, Maharashtra
एक गांव ऐसा भी है, जिसका मुक़ाबला बड़े-बड़े देशों के विकसित शहर भी नहीं कर सकते. इस गांव का नाम है हिवारे बाज़ार गांव, जो महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में है. आपको विश्वास नहीं होगा कि इस गांव में 60 करोड़पति रहते हैं. 1972 में ये गांव सूखे की चपेट में बुरी तरह बर्बाद हो गया था और फिर इस गांव के लोगों कि किस्मत ने ऐसी करवट ली कि 1995 के बाद से, पानी की सिंचाई के लिए यहां कोई टैंकर नहीं बुलाया गया. इस गांव में कुवों की संख्या 294 है.
4. Odanthurai, Tamil Nadu
तमिलनाडु के Odanthurai गांव की पंचायत ने जो कारनामा कर दिखाया, वो अच्छे-अच्छे सोच भी नहीं सकते. तमिलनाडु का ये छोटा सा गांव सभी के लिए एक मिसाल है. दरअसल इस गांव की पंचायत ख़ुद बिजली का उत्पादन करती है. गांव में बिजली की कोई कमी नहीं है. यहां तक कि तमिलनाडु बिजली बोर्ड को बिजली भी इसी गांव से सप्लाई की जाती है. इसके काम के लिए गांव को इंटरनेशनल अवॉर्ड से भी नवाज़ा जा चुका है. बिजली उत्पादन करने के लिए गांव वालों ने 5 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किये थे. ये प्रोजेक्ट 8000 घरों में बिजली का वितरण करता है.
5. Chizami, Nagaland
नागालैंड के फेक ज़िले का 1 छोटा सा गांव चिजामी पिछले 1 दशक से अधिक समय से सामाजिक, आर्थिक सुधारों व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में क्रांति लेकर आया है. नागा समुदाय में एक आदर्श गांव रूप के में जाने, जाने वाले चिजामी में आज कोहिमा और आस-पास के गांवों के युवा इंटर्नशिप और चिजामी विकास मॉडल की जानकारी लेने आते है.
चिजामी विकास मॉडल की सबसे ख़ास बात ये है कि यहां हुए सुधारों में सबसे अधिक भूमिका महिलाओं की रही है.
6. Gangadevipalli, Andhra Pradesh
कहते हैं भारत की आत्मा गांव में बस्ती है, अगर ये सच है तो हमें गंगादेवीपल्ली विकास मॉडल को ज़रूर अपनाना चाहिए. आंध्र प्रदेश के वारंगल ज़िले में बसा छोटा सा कस्बा जहां जीवन के लिए आवश्यक किसी सुविधा की कमी नहीं है. लगातार आने वाली बिजली से लेकर, अनवरत पानी की सप्लाई और वैज्ञानिक पद्धति से पानी शुद्ध करने वाला यंत्र, समुदाय द्वारा स्थापित केबल टीवी, पक्की और रौशनी युक्त सड़कें. ये गांव लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है और इसका सारा श्रेय वहां के ग्रामीणों को जाता है.
7. Kokrebellur, Karnataka
कर्नाटक के मद्दूर तालुक के कोकरेबेल्लूर गांव में जाने पर आपको एक अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा. आप यहां घरों के बैकयार्ड में भारत में पाए जाने वाले अति दुर्लभ प्रज़ाति के पक्षियों को चहचहाते हुए पाएंगे. इस गांव का नाम ही एक प्रकार के सारस पक्षी, जिन्हें कन्नड़ भाषा में कक्कारे कहा जाता है, पर पड़ा है. यहां के निवासी इन पक्षियों को अपने परिवार के सदस्य की तरह ही प्यार करते हैं. घायल पक्षियों के लिए भी विशेष इंतज़ाम मौजूद हैं.
8. Khonoma, Nagaland
खोनोमा देश का पहला हरा-भरा गांव है, इसके लिए खोनोमा ने काफ़ी लंबा सफ़र तय किया है. इस गांव में शिकार करना पूरी तरह बैन है.
9. Punsari, Gujarat
गुजरात में अहमदाबाद से 100 किमी दूरी पर स्थित पुनसारी गांव, एक ऐसा गांव है, जहां किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं. Water Purifier प्लांट, बॉयोगैस प्लांट, एसी वाले स्कूल, वाई-फ़ाई, बॉयोमीटरिक मशीन, इस गांव में ये सब मौजूद हैं. सारी सुविधाओं को अर्जित करने के लिए 16 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इस सब के पीछे 33 साल के यंग सरपंच हिमांशु पटेल का हाथ है. उनकी वजह से ये गांव हाइटेक बन पाया है.
10. Ramchandrapur, Telangana
2004-2005 में निर्मल अवॉर्ड जीतने वाला तेलंगाना का ये पहला गांव है. रामचन्द्रपुर ने सबका ध्यान अपनी और एक दशक पूर्व तब आकर्षित किया, जब यहां के निवासियों ने अपनी आंखें दृष्टीबाधित लोगों को देने का निश्चय किया. इस गांव की कई उपलब्धियों में है कि यहां किसी भी घर में कच्चे चूल्हे नहीं है, सभी घरों में टैप वॉटर सुविधा के साथ शौचालय बने हैं. राज्य का ये पहला गांव है, जिसने पास बहने वाली नदी की उपसतह पर बांध बनाकर व घरों में 2 ओवरहैड टैंक बना कर पीने के पानी की समस्या से निजात पा लिया है.
11. Mawlynnong, Meghalaya
मावल्यंनोंग के इस कस्बे में प्लास्टिक प्रतिबंधित है, गांव के रास्तों पर कोई दाग नहीं है और किनारे फूलों से सजे हुए हैं, कुछ कदम दूरी पर बांस के बने कूड़ेदान लगे हैं. स्वयंसेवक कुछ अंतराल में गांव की सफा़ई करते है और हर जगह लगे बड़े-बड़े साइन बोर्ड आगंतुकों को कचरा ना फै़लाने के लिए सचेत करते रहते हैं. यहां सफ़ाई करना एक परंपरा है. बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी इसको बेहद गंभीरता से लेते हैं. ये गांव आज भारत का ही नहीं, एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है.
12. Piplantri, Rajasthan
पिछले कुछ वर्षों से पिपलान्त्री ग्राम पंचायत, ‘बेटी बचाओ अभियान’ के साथ ही अपने यहां के वन क्षेत्र में वृद्धि कर रही है. यहां के ग्रामीण प्रत्येक बालिका के जन्म होने पर 111 पौधे लगाते है और पूरा समुदाय मिलकर यह सुनिश्चित करता है कि उस पौधे की समुचित देखभाल की जाए, ताकि बड़े होने पर बालिकाओं को इनका लाभ मिल सके.
पिछले 9 वर्षों के अंदर, यहां के लोगों ने तकरीबन 25,000 से अधिक पेड़ ग्राम पंचायत के चरागाह पर लगाएं है. इन पेड़ों को दीमकों से बचाने के लिए इनके आस-पास 2.5 लाख से अधिक एलोवेरा के पौधे भी लगाए गए हैं.
13. Eraviperoor, Kerala
एरावीपेरूर केरल की पहली ऐसी ग्राम पंचायत है, जहां आम जनता के लिए फ़्री वाई-फ़ाई उपलब्ध कराया जाता है. इस पंचायत ने निर्धनों के लिए प्रशामक देखभाल योजना भी लागू की है. ये राज्य की प्रथम पंचायत है, जहां की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का ISO:9000 प्रमाणीकरण हुआ है. इस गांव को हॉर्टिकल्चर विभाग द्वारा आदर्श हाई-टेक गांव का दर्जा भी प्राप्त है.
14. Baghuvar, Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश का छोटा-सा गांव बघूवर. भारत का इकलौता ऐसा गांव, जहां आज़ादी के समय से कोई सरपंच नहीं है. यहां के हर घर में शौचालय है व एक संयुक्त शौचालय भी है, जिसे समारोह में उपयोग किया जाता है. इस गांव में भूमिगत सीवेज लाइन है, व साथ ही पूरे राज्य में सर्वाधिक बायो-गैस प्लांट भी यहीं है. यहां उत्पादित गैस को गांव को रौशन करने व खाना पकाने के लिए काम में लिया जाता है.
15. Shikdamakha, Assam
असम के इस गांव ने सभी गांवों के लिए उदारहण पेश किया है. साल 2010 में इस गांव में स्वच्छ भारत ने सबसे ज्यादा योगदान दिया है. ये गांव एशिया का सबसे ज्यादा स्वच्छ गांव बन गया है. इस गांव में प्लास्टिक के उपयोग पर सख़्त पाबंदी है. इस गांव में पीने का पानी, निकास, रोग मुक्त लोग और तरह-तरह की सुविधाएं हैं.