कहते हैं इंसान ख़ुद की परेशानियों से उतना परेशान नहीं होता, जितना दुखी वो दूसरों को ख़ुश देख कर होता है. इस परेशानी की सबसे बड़ी जड़ है सोशल मीडिया. क्योंकि आज कल लोग रियल लाइफ़ से ज़्यादा वर्चुअल लाइफ़ में विश्वास करते हैं, जिसके चलते वो अपनी ज़िंदगी की हर छोटी-बड़ी चीज़ तस्वीरों के ज़रिए, इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते रहते हैं और हम इन फ़ोटोज़ को देख कर मन ही मन सोचते रहते हैं, यार हमारी लाइफ़ इनके जैसी कूल क्यों नहीं है?
इंस्टाग्राम पर कोई भी हंसते-खेलते फ़ोटो डाल देता है, लेकिन क्या सच में ये सभी अपनी ज़िंदगी में भी इतने ही ख़ुश हैं. किसी की भी ज़िंदगी एक दम परफ़ेक्ट कैसे हो सकती है? इंस्टाग्राम और रियल लाइफ़ में कितना फ़र्क होता है, इस बात को जर्म़न Instagrammer Geraldine West ने अपने प्रोजेक्ट के ज़रिए लोगों को अच्छे से समझाने की कोशिश है.
Instagram v/s Reality की ये झलक आप भी देखिए:
1. इंस्टाग्राम और हकीक़त में फ़र्क समझ आया न?
2. नहाते वक़्त कोई कूल नहीं दिखता, बल्कि दिखाता है.
3. ये सब फ़्रेम का कमाल होता है.
4. सच में ऐसा ही होता है.
5. खाना खाते वक़्त कोई भी इतना स्टाइलिश नहीं दिख सकता.
6. एक्सरसाइज़ करते समय पसीने से लथपथ होना वाजिब है, लेकिन फ़ोटो में ये बिल्कुल नज़र नहीं आता.
7. इसीलिए दिखावे पर नहीं जाना.
8. रिएलिटी, सोशल मीडिया लाइफ़ से काफ़ी अलग है.
9. हा…हा….हा
10. दूसरों की तस्वीरें देख कर दुखी नहीं होना चाहिए.
11. थकने के बाद सोते समय इतना बुरा हाल हो जाता है, लेकिन इंस्टाग्राम पर इसे परफ़ेक्ट दिखाया जाता है.
12. शापिंग पर निकले लोग ऐसे ही दिखते हैं.
13. ऐसी ही तस्वीरें हमारे दिल को जलाती हैं.
14. इंस्टाग्राम पर दिखने वाली ख़ूबसूरती का दूसरा रूप ये भी है.
15. ग़लतफ़हमियां दूर हुईं?
16. अब फ़ोटो पर मत जाना.
17. दिक्कतें सभी की लाइफ़ में होती हैं.
18. उम्मीद है अब आप दूसरों की ज़िंदगी को इंस्टाग्राम से जज नहीं करेंगे.
सोशल मीडिया के ज़रिए किसी की ख़ुशी या ग़म का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता. इसीलिए सोशल मीडिया के बाहर भी एक दुनिया है, उसमें ख़ुश रहना सीखिए और दूसरे अपनी लाइफ़ में कैसे रहते हैं, इसे देख कर परेशान होना बंद करिए.