मई में एक केस का फै़सला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को वैध करार दिया था. हालांकि हमारे देश की परंपराओं का हवाला देते हुए आज भी कुछ लोग इस फ़ैसले का विरोध करते नज़र आते हैं. उनका मानना है कि ये वेस्टर्न कल्चर की देन है. अगर ऐसा है, तो शायद उन्हें अपने ही देश की गरासिया जनजाति के बारे में नहीं पता, यहां 1000 वर्षों से लिव-इन रिलेशनशिप की प्रथा कायम है.
गरासिया नाम की ये जनजाति उत्तरी राजस्थान में रहती है. यहां शादी से पहले लिव-इन में रहने का चलन है. दरअसल इस जाति के लोगों की मान्यता है कि अगर शादी के बाद बच्चे पैदा होंगे, तो उनका वंश आगे नहीं बढ़ेगा. यही कारण है कि ये लोग शादी से पहले ही लड़का-लड़की को लिव-इन में रहने की इजाज़त देते हैं.
इसके लिए गुजरात और राजस्थान में दो दिनों का एक मेला भी आयोजित किया जाता है. यहां लड़के और लड़कियां अपने पार्टनर चुनते हैं और उनके साथ दो दिनों तक रहते हैं. अगर दोनों को एक-दूसरे का साथ पसंद आता है, तो वो बिना शादी वर्षों तक साथ रह सकते हैं. यहां लड़कियों के शादी से पहले मां बनने पर कोई आपत्ति नहीं होती.
इस जनजाति की इस परंपरा का ख़ुलासा कुछ वर्ष पहले हुआ था. तब एक 70 वर्ष के बुज़ुर्ग, नानिया गरासिया ने अपनी पार्टनर काली (60) के साथ शादी की थी. यही नहीं, उनके बच्चों ने भी उनके साथ ही अपने-अपने पार्टनर्स से शादी की थी. भले ही आपको ये अजीब लग रहा हो, लेकिन इसके कुछ सकारात्मक नतीजे भी इस जाति में देखने को मिलते हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस जनजाति में दहेज हत्या और रेप जैसे अपराध कम ही सुनने को मिलते हैं. समाजिक-वैज्ञानिक राजीव गुप्ता के अनुसार, ‘ये जनजाति, चुनने और रिजेक्ट करने के अधिकार को मानती है. ये शादी की परंपरा को ग़लत मानती है क्योंकि इसमें एक महिला को कई बंदिशों में बांध दिया जाता है और उसकी आज़ादी ख़त्म हो जाती है.’
आज़ादी के 70 वर्षों बाद भी देश में औरतों को समान अधिकार देने की बातें ही की जाती हैं. वहीं इस जनजाति में औरतों को हज़ारों सालों से समता का अधिकार दिया हुआ है.