कश्मीर घाटी में खुदाई के दौरान मिली भगवान विष्णु की 2 हज़ार साल पुरानी प्रतिमा

Manish

कश्मीर के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित बीजबिहाड़ा के समथन गांव में भगवान विष्णु की लगभग 2 हज़ार साल पुरानी प्रतिमा मिली है. फ़िलहाल यह प्रतिमा राज्य के पुरातत्त्व विभाग के पास रखी गई है. जहां इसको लेकर रिसर्च की जा रही है. यह प्रतिमा कुछ स्थानीय लोगों को खुदाई करते समय मिली थी, लोगों ने इसे इतिहास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण समझते हुए पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने इसके बाद इस प्रतिमा को पुरातत्त्व विभाग के पास भेजा.

इस प्रतिमा का एक हाथ टुटा हुआ है, साथ ही इस प्रतिमा को आभूषणों से भी सजाया गया है. यह क्षेत्र अनंतनाग के पास स्थित है. इस मूर्ति को वेरीनाग क्षेत्र में मिली मूर्तियों से मिलते-जुलते आकार की बताया जा रहा है.

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दरअसल वेरीनाग, अनंतनाग जिले में ही स्थित एक जगह है. यहां पर की गई खुदाइयों में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कई मूर्तियां प्राप्त हुई हैं. इस मूर्ति को भी उन्हीं मूर्तियों की स्टाइल में बनाया गया है. जानकारों का कहना है कि किसी समय समथन में एक प्राचीन कालीन विश्वविद्यालय भी हुआ करता था. वर्तमान में प्राप्त मूर्ति इस क्षेत्र में मिली कोई पहली मूर्ति नहीं है, इससे पहले भी यहां अनेक मूर्तियां मिली हैं. कुछ ही समय पहले यहां भगवान गणेश और उनके भाई कार्तिकेय की कुछ मूर्तियां मिली थी.

समथन और वेरीनाग इतिहास की दृष्टि से सबसे इम्पोर्टेन्ट आर्कियोलॉजिकल साइट्स में से है. यह दोनों स्थान ही कश्मीर में किसी समय मौजूद रहे हिन्दू राजाओं के बारे में बहुत कुछ हमें बयां करते हैं. कश्मीर से जुड़े हिन्दू इतिहास के बारे में यहां से अनेक प्रमाण मिले हैं.

इस मूर्ति को लगभग 2 हज़ार साल पुरानी बताया जा रहा है. यह उस तथ्य को और भी मजबूत करता है, जिसमें कहा जाता है कि कश्मीर घाटी में हिन्दुओं का इतिहास लगभग 5 हज़ार साल पुराना रहा है.

नीचे दी गई तस्वीर भगवान विष्णु के ही एक अवतार नरसिम्हा की है.

यह मूर्ति बारामुला क्षेत्र से कुछ समय पहले प्राप्त हुई थी. इसके अलावा घाटी में खुदाई के दौरान समय-समय पर अनेक शिवलिंग भी मिलते रहे हैं. मुस्लिम बादशाहों के आने से पहले यहां हिन्दू राजाओं का एक स्वर्णिम दौर रहा है. सिकंदर बुतशिकन जैसे लोगों द्वारा तोड़े जाने से पहले यहां अनेक मंदिर भी हुआ करते थे.

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समय किसी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता. बदलाव के दौर में अनेक राजा, वंश और धर्मों के लोग इस धरती पर आते-जाते रहे हैं. इन्होंने अपने वजूद से इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज़ करवाने के अलावा उसे समृद्ध बनाने का भी काम किया है.

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