लूनी नदी: भारत की एकमात्र ऐसी अनोखी नदी, जो निकलती तो पहाड़ों से है पर समुद्र में कभी नहीं मिलती

J P Gupta

नदी, प्राचीन काल से ही मनुष्य इनके किनारे ही अपना बसेरा बनाता आया है. वर्तमान में भी बहुत से शहर नदियों के किनारे ही बसे हुए हैं. नदी का नाम ज़ेहन में आते ही सबसे पहले यही ख़्याल आता है कि ये किसी पर्वत से निकलती होगी और समुद्र में जाकर समा जाती होगी. तकरीबन सभी नदियों के साथ ऐसा होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसी नदी भी है, जो पहाड़ से तो निकलती है, मगर समंदर में नहीं मिलती.

इस नदी का नाम है लूनी नदी. लूनी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर ज़िले में 772 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाग की पहाड़ियों से होता है. ये नदी अजमेर से निकल कर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालौर ज़िलों से होकर बहती हुई गुजरात के कच्छ ज़िले में प्रवेश करती है और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है.

कुछ दूरी के बाद इस नदी का पानी खारा हो जाता है

इस नदी की कुल लम्बाई 495 किमी है. राजस्थान में इसकी कुल लम्बाई 330 किमी है. इस नदी की ख़ासियत ये है कि ये बालोतरा (बाड़मेर) के बाद खारी हो जाती है. क्योंकि रेगिस्तान क्षेत्र से गुज़रने पर रेत में मिले नमक के कण पानी में मिल जाते हैं. इस कारण इसका पानी खारा हो जाता है. यही नहीं ये नदी किसी समुद्र में नहीं, बल्कि कच्छ के रण में ही सूख जाती है. शुरुआती 100 किलोमीटर तक इसका पानी मीठा रहता है और इसी से राजस्थान के कई ज़िलों में सिंचाई की जाती है. इसलिए स्थानीय लोग इसकी पूजा भी करते हैं.

कब जाएं

इस नदी के सुंदर और प्राकृतिक नज़ारों को देखने का सबसे अच्छा समय मानसून का वक़्त होता है. इसके अलावा यहां मार्च में हर साल थार महोत्वस भी आयोजित किया जाता है. राजस्थान के सीमावर्ती ज़िले बाड़मेर की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के उदेश्य से इस तीन दिवसीय थार महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस महोत्सव में देसी और विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगता है.

यहां मोटर बाइकिंग का उठा सकते हैं लुत्फ़

इसके साथ ही आप यहां के मुनाबाव का बॉर्डर, किराडू के मंदिर, बीसे के मंदिर, पचपदरा के नमक के पिरामिड, सिवाना का किला, हल्देश्वर की पहाडि़यां जैसे प्रसिद्ध पर्यटल स्थलों का भी जायजा ले सकते हैं. इसके अलावा यहां मोटर बाइकिंग का भी पूरा माहौल है. जैसलमेर आने वाले पर्यटक इसे आज़माने यहां ज़रूर पहुंचते हैं.

तो अगली बार मानसून में इस अनोखी नदी की ट्रिप ज़रूर प्लान करना. आख़िर ये भारत की सबसे अनोखी नदी है और इसके दर्शन करना तो बनता है. 

Source: Tripoto 

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