इस बंदे ने अपनी दृष्टिहीन पत्नी के लिए छोड़ा सब कुछ, ये कहानी सच्चे प्रेम की परिभाषा है

Ishi Kanodiya

हम प्रेम की अक्सर कई सारी परिभाषाएं निकालते रहते हैं मगर वास्तव में वो प्रेम ही क्या जो बुरे वक़्त में आपका साथ छोड़ दे.  

Humans Of Bombay द्वारा साझा की गई पति-पत्नी की ये कहानी हमें यही बताती है कि दिन के आख़िर में, प्यार वही है जो एक बुरे वक़्त के दौरान हम आपस में बांटते हैं.   

अपने पति राजीव के बारे में बताते हुए सीमा बताती हैं कि वो दोनों कैसे मिले.  

हम गुप्त रूप से मिलते थे, वह मेरे मकान मालिक का बेटा था. सभी के सो जाने के बाद, हम सीढ़ियों पर बैठते और घंटों तक बात करते.

दोनों का वही पुराना ओल्ड स्कूल रोमांस, इशारों- इशारों में बात करना, सीढ़ियों के पास मिलना, एक दूसरे को प्रेम पत्र लिखना और छुप-छुप कर डेट्स पर जाना. कुछ समय बाद ही दोनों की शादी हो गई और उन्हें एक प्यारा सा लड़का, पारस हुआ. मगर प्रेगनेंसी में हुई जटिलताओं के चलते सीमा ने अपनी एक आंख की दृष्टि खो दी. तब उनके ससुराल वालों ने सीमा को घर छोड़ने के लिए कहा.  

उनके माता-पिता ने उन्हें मुझे छोड़ने के लिए कहा- ‘उसे छोड़ दो अभी भी बहुत देर नहीं हुई है.’ उसे धमकाया और कहा- उसी के साथ रहना है तो ये घर और कारोबार अभी छोड़ दो.

जल्द ही सीमा ने अपनी दूसरी आंख की भी दृष्टि खो दी. मगर राजीव ने उनका साथ नहीं छोड़ा. 

राजीव ने कहा, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा. उन्होंने अपना परिवार छोड़ दिया और हम दिल्ली चले गए. हमारे पास पैसे नहीं थे, इलाज के लिए हमें सारे गहने बेचने पड़े. कुछ ही महीनों में उन्हें नौकरी मिल गई और चीजें ठीक होना शुरू हो गई.

सीमा के इलाज के लिए दोनों 3 महीने के लिए चेन्नई गए. सीमा ने एक नेत्रहीन स्कूल में दाख़िला भी लिया. इस बीच, राजीव ने घर, काम और पारस सबका ध्यान रखा.  

ख़ैर, चीज़ें धीरे-धीरे ठीक हुई और आज उन की शादी को 31 साल हो चुके हैं और अभी भी दोनों में पहले की ही तरह प्यार और सम्मान बरक़रार है.  

हमारी शादी को 31 साल हो चुके हैं, लेकिन आज तक राजीव छोटी-छोटी चीजों को गिनते हैं.

पूरी कहानी यहां पढ़ सकते हैं:

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