मां के शब्दों ने बदल दी पुजारा की ज़िंदगी, करोड़ों की जॉब छोड़ ज़रुरतमंदों के लिए लौटा भारत

Akanksha Tiwari

आज कल की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में हर शख़्स सिर्फ़ अपनी ख़ुशियों के बारे में सोचता है, देश और गरीबों के बारे में सोचने का वक़्त ही किसके पास है. कितनी अजीब बात है न कि अपने देश में ही रह कर, हम से कई लोगों के पास देश के बारे में कुछ करने का वक़्त नहीं होता. वहीं एक शख़्स ऐसा भी है, जिसके अंदर देश प्रेम की ऐसी लौ जली कि वो लाखों की जॉब छोड़ कर, स्वदेश वापस लौट आया.

हम बात कर रहे हैं 29 साल के धैर्य पुजारा की. पुजारा की मां के चंद शब्दों ने उन्हें भारत आने पर मजबूर कर दिया. दरअसल, पुजारा ने साल 2013 में आदित्य ब्रह्मभट्ट के साथ मिल कर YCenter नाम की एक कंपनी खोली, जिसके बाद उन्होंने We Serve नामक एक प्रोग्राम की शुरुआत कर, Kenya और Mozambique जैसी अफ़्रीकी कंपनियों के साथ काम करना शुरू कर दिया. We Serve, के ज़रिए पुजारा बिज़ेनस, पर्सनल ग्रूमिंग, समाजिक और कम्यूनिकेशन संबधित मुद्दों को लेकर लोगों की परेशानियां हल, उन्हें शिक्षित करने का काम करते थे.

वहीं एक दिन फ़ोन पर बात करते हुए पुजारा कि मां ने उनसे कहा कि ‘तुम अपने मातृ भूमि यानि भारत के लिए क्या कर रहे हो? मां के इस सवाल ने पुजारा को देश के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया, फिर क्या था. पुजारा ने देर न करते हुए टिकट बुक की और आ गए अपने देश. वहीं देश वापसी के बाद पुजारा ने ज़रूरतमंदों के लिए Communication और Personality Development की क्लास शुरू कर, उन्हें अमेरिका के बेस्ट विश्वविद्यायलों के पाठ्यक्रम के बारे में बताया.

इंडिया टाइम्स से बातचीत के दौरान पुजारा ने बताया, ‘ये जगह अलग ज़रूर है, पर छात्रों में कुछ नया सीखने का ज़ज़्बा एक ही है.’

पुजारा गुजरात से हैं और जिस वक़्त पुजारा Biomedical Engineering में MS कर रहे थे, उस वक़्त उन्हें अमेरिका की एक बड़ी कंपनी में काम करने का मौका मिला था, लेकिन ऑफ़िस के पहले दिन ही उन्हें ऐसा लगा कि मानों वो 5 से 9 की जॉब के लिए बने ही नहीं हैं और उन्होंने पहले ही दिन जॉब को अलविदा कह दिया.

पुजारा के नए ऑफ़िस का नाम BKC है, पुजारा का मानना है कि परंपरागत शिक्षा से ज़्यादा ज़रूरी है किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास, जिससे उसे ख़ुद के बारे में निर्णय लेने से पहले ज़्यादा सोचना न पड़े.

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