कर्नाटक के ‘मैन ऑफ़ पॉन्ड्स’ को मिला आजीवन फ़्री बस पास, ‘जल संरक्षण’ के लिए खोदे थे 16 तालाब

Maahi

ये 85 साल के कामेगौड़ा हैं. इस बुज़ुर्ग ने अपने गांव को सूखा मुक्त बनाने की मुहिम छेड़ रखी है. कामेगौड़ा पिछले 40 सालों से अपने इलाक़े में ‘जल संरक्षण’ हेतु कई तालाब खोद चुके हैं. अपने इसी जज़्बे के चलते वो कर्नाटक में ‘मैन ऑफ़ पॉन्ड्स’ के नाम से मशहूर हैं.  

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान कामेगौड़ा के जज़्बे को सलाम किया था. अब कामेगौड़ा की इस नेक मुहिम के चलते ‘कर्नाटक सड़क परिवहन निगम’ ने उन्हें जीवनभर फ़्री बस यात्रा की सौगात दी है.  

इस दौरान ‘कर्नाटक सड़क परिवहन निगम’ के प्रबंध निदेशक शिवयोगी सी का कहना था कि, कामेगौड़ा की इस असाधारण सेवा के लिए हमने उन्हें केएसआरटीसी की बसों में यात्रा के लिए फ़्री आजीवन पास देने का फ़ैसला किया है.  

कौन हैं कामेगौडा?  

85 वर्षीय कामेगौड़ा कर्नाटक के मंड्या ज़िले के दासनाडोड्डी गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म एक साधारण किसान में हुआ था. साधारण से दिखने वाले कामेगौड़ा के असाधारण कार्य ही उन्हें दूसरों से अलग बनाते हैं. क़रीब 35 साल पहले उन्होंने गांव को भविष्य में पानी की समस्या न हो, इसलिए तालाब खोदकर ‘जल संरक्षण’ का बीड़ा उठाया था. 

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दरअसल, कई साल पहले कामेगौड़ा को गड्ढा खोदता देख लोग उन्हें पागल समझने लगते थे. गांववालों को उनके इस मकसद का अहसास उस वक़्त हुआ जब पूरा गांव सूखे की चपेट में आ गया था. तब कामेगौड़ा द्वारा खोदे गड्ढों ने ही गांववालों को भूख और प्यास से बचाया था. इस दौरान गांववालों को समझ में आ गया कि कामेगौड़ा का मकसद सिर्फ़ गड्ढे खोदना नहीं, बल्कि गांव को सूखे से बचाना था.  

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कामेगौड़ा अब तक अकेले दम पर पानी के 16 तालाब खोद चुके हैं. पानी से लबालब भरे ये सभी तालाब आज उनके गांव की हर ज़रूरत को पूरा कर रहे हैं. इतने सारे तालाबों की वजह से लोगों को एक नया जीवन मिला है. आज कामेगौड़ा की राह पर चलकर कर्नाटक के अन्य गांव भी सूखे से निपटने के लिए यही तरीक़ा अपना रहे हैं.  

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