कौन थी ‘माता हारी’? जिसे 100 साल पहले 50 हज़ार लोगों की मौत का ज़िम्मेदार ठहराया गया था

Maahi

मार्गरेट गीर्तोईदा ज़ेले यानि कि ‘माता हारी’ एक ज़माने में जासूसी की दुनिया की गॉड मदर हुआ करती थीं. ‘प्रथम विश्व युद्ध’ के दौरान ‘ज़ेले’ जर्मनी के लिए जासूसी की थी. फ़्रांस ने उन्‍हें तकरीबन 50 हज़ार लोगों की मौत का ज़िम्‍मेदार ठहराकर जेल भेज दिया था. 

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कहा जाता है कि 20वीं सदी की शुरुआत में ‘माता हारी’ के कई सारे प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध थे. माता हारी को ‘जेले’ के नाम से भी जाना जाता है. मशहूर जासूस के साथ-साथ ‘जेले’ पेरिस में एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में मशहूर थी. ‘जेले’ इतनी लोकप्रिय थी कि बड़े से बड़े राजनेता और सेना प्रमुख भी उनका डांस देखने के लिए आते थे.

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‘प्रथम विश्व युद्ध’ के दौरान वो दो देश की सीक्रेट इफ़ोर्मेशन को इधर से उधर करने का काम किया करती थी. इस काम के लिए वो अपनी ख़ूबसूरती का भरपूर इस्तेमाल किया करती थीं. उनकी ख़ूबसूरती के कारण कई सेना प्रमुख उसे सीक्रेट इफ़ोर्मेशन देने तक को तैयार हो जाते थे. जर्मन के प्रिंस सहित और भी कई लोग मार्गरेट गीर्तोईदा ज़ेले के मुरीद हुआ करते थे.

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मार्गरेट गीर्तोईदा ज़ेले यानि कि माता हारी का जन्म साल 1876 में नीदरलैंड में हुआ था, लेकिन उसकी परवरिश पेरिस में हुई. ‘जेले’ की शादी नीदरलैंड की शाही सेना के एक अधिकारी से हुई थी, जो उस वक़्त इंडोनेशिया में तैनात था. इंडोनेशिया में रहने के दौरान वो किसी डांस कंपनी में शामिल हो गईं. इस दौरान उसने अपना नाम बदलकर ‘माता हारी’ रख लिया.

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सन 1907 में ‘माता हारी’ ने नीदरलैंड्स लौटने के तुरंत बाद अपने पति को तलाक दे दिया. इसके कुछ समय बाद वो पेरिस चली गईं. पेरिस में वो 1 साल तक किसी फ़्रेंच राजनीतिज्ञ के साथ रही और इसी दौरान फ़्रांस की सरकार ने उन्हें जासूसी करने के लिए राज़ी कर लिया. हालांकि, इस काम के बदले में उन्हें मुंह मांगी भी रक़म दी गई.

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‘प्रथम विश्व युद्ध’ के दौरान फ़्रांस ने ‘माता हारी’ को हथियार बना कर जर्मन मिलिट्री ऑफ़िसर्स की कई सारी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की थीं. इस दौरान ‘माता हारी’ की जर्मन सेना प्रमुखों से नज़दीकियां कुछ ज़्यादा ही बढ़ने लगी. अब उसने दोनों देशों के साथ डबल गेम खेलना शुरू कर दिया. इस दौरान ‘माता हारी’ ने लालच में फ़्रांस की कई महत्वपूर्ण जानकारियां जर्मनी सेना प्रमुखों को देनी शुरू कर दी.

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इस दौरान ‘माता हारी’ को अपने काम के मन मुताबिक़ पैसे मिलने लगे. लेकिन सच बाहर आने में ज्य़ादा देर नहीं लगी. फ़्रांस की ख़ुफ़िया एजेंसी को जब इस बात की भनक लगी तो उसने सन 1917 में माता हारी को गिरफ़्तार कर लिया. इस दौरान उसे 50 हज़ार लोगों के मौत का ज़िम्मेदार ठहराया कर जेल भेज दिया गया.

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15 अक्टूबर,1917 को मार्गरेट गीर्तोईदा ज़ेले यानि कि ‘माता हारी’ को गोलियों से भूनकर मौत देने की सजा मिली. अपने लालच के चलते मात्र 41 वर्ष की आयु में ही ‘माता हारी’ को अपनी ज़िंदगी से हाथ धोना पड़ा. 

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