अकेले शुरु हुआ वरसोवा बीच सफ़ाई अभियान, 2 साल में बदल गया विश्व के सबसे बड़े Campaign में

Pratyush

मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल मगरलोग आते गए और कारवां बनता गया

ये शायरी मुम्बई के रहने वाले अफ़रोज़ शाह पर एकदम सटीक बैठती है. अफ़रोज़ जो पेशे से मुम्बई हाई कोर्ट में वकील हैं, पिछले 2 साल से एक अजीब केस लड़ रहे हैं. ये केस किसी अदालत में नहीं, बल्कि मुम्बई वरसोवा बीच पर लड़ा जा रहा है. अफ़रोज़ का मुवक्किल और कोई नहीं बल्कि ये प्रकृति है.

वकील साहब दो साल पहले वरसोवा शिफ़्ट हुए थे, जब उन्होंने देखा कि पूरा बीच बुरी तरह गंदा है. हर तरफ़ प्ला​स्टिक फ़ैली हुई थी. अफ़रोज़ चाहते तो उस दिन हाई कोर्ट में PIL दायर करके सफ़ाई के आॅर्डर पास करवा सकते थे या खुद शिकायत करके नगर निगम के अधिकारियों को सफ़ाई के लिए कह सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. अफ़रोज़ अगर उस दिन ये कर देते तो शायद आज ये इतना बड़ा आंदोलन न बनता. बीच की सफ़ाई का ये आंदोलन जिसमें पिछले 2 सालों में 4300 टन प्लास्टिक निकाली गई है.  ये दुनिया का सबसे बड़ा बीच सफ़ाई आंदोलन बन गया.

The Logical Indian को एक इंटरव्यू में अफ़रोज़ ने बताया कि- 

हमने अक्टूबर 2015 में इसकी शुरुआत की थी. पहले सिर्फ़ हम दो ही लोग लगे रहते थे. मुझे आज भी याद है पहले दिन मैंने 5 बोरी प्लास्टिक भर कर निकाला था. हम पिछले दो सालों से लगातार शनिवार और इतवार सफ़ाई कार्य करते हैं, जिसमें पास की स्लम के कई लोग हमारा हाथ बंटाते हैं. इसी के साथ हम पास की झुग्गियों में जागरुक अभियान चलाते हैं.

अफ़रोज़ का कहना है कि हमें प्रकृति से एक रिश्ता बनाना होगा. इस साफ़-सफ़ाई की ज़िम्मेदारी हमें खुद उठानी पड़ेगी. ये बात वो हर वालंटियर से बताते हैं.

अफ़रोज़ ने World Economic Forum (WEF) की एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि साल 2050 तक समुद्र में उतने जलजीव नहीं होंगे, जितना प्लास्टिक होगा. ये एक बड़ा खतरा बन जाएगा, जिसका हमें अभी अंदाज़ा नहीं है. वरसोवा बीच लगभग 3 किलोमीटर लम्बा था और अब तक करीब 90 प्रतिशत प्लास्टिक वहां से निकाल दिया गया है.

अफ़रोज़ का कहना है कि-

 हमें सफ़ाई करने के लिए हाथ गंदे करने पड़ेंगे. सिर्फ़ एक बार या सेल्फ़ी लेने से काम नहीं बनेगा. सफ़ाई के लिए किसी कानून का भी कोई फ़ायदा नहीं है, क्योंकि सफ़ाई करने से होगी न कि केस लड़ने से.

अफ़रोज़ की ये कोशिश आंदोलन बन गई.

 बीच पर होने वाला ये दुनिया का सबसे बड़ा सफ़ाई आंदोलन है. इसके लिए अफ़रोज़ को United Nations द्वारा सम्मानित भी किया गया है और उन्हें Champions of the Earth अवॉर्ड से नवाज़ा भी गया है. 

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