मिलिए अमन राजपूत से: कभी 10 रुपये के लिए ढोई गोल्फ़ किट, आज IAS-IPS को दे रहा है ट्रेनिंग

Maahi

Aman Rajput Golf Coach: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के रहने वाले अमन राजपूत (Aman Rajput) की कहानी बेहद प्रेरणादायक है. भोपाल के एक स्लैम एरिया से आने वाला ये लड़का आज भोपाल के गोल्फ़ क्लब में IAS, IPS, डॉक्टर, इंजीनियर और नेताओं को गोल्फ़ की ट्रेनिंग दे रहा है. कभी 10 रुपये के लिए गोल्फ किट ढोने वाला अमन अब बतौर कोच प्रति घंटा 700 रुपये की फ़ीस लेता है. अमन एक बेहतरीन गोल्फ़र भी है. बतौर खिलाड़ी वो कई बड़े टूर्नामेंट जीत चुका है. 

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22 वर्षीय अमन सिंह राजपूत का जन्म भोपाल के गोविंदपुरा स्लम एरिया में हुआ था. ये BHEL नगरी से सटा हुआ है. ये वो इलाक़ा है जहां आज तक बिजली नहीं है, क्योंकि ये अवैध कॉलोनियां हैं. यहां क़रीब 50 परिवार रहते हैं. बरसात के दिनों में जितनी बारिश घर के बाहर, उससे कहीं ज्यादा घर के अंदर देखने को मिलती है. 

अमन को बचपन से कई मुश्किलों और संघर्षों का सामना करना पड़ा है. जब वो केवल ढाई साल का था तभी उसकी मां का निधन हो गया था. मां की मौत के बाद अमन के पिता ने दूसरी शादी कर ली, लेकिन अमन की परवरिश उसके दादा-दादी ने की. दादा स्लम एरिया से सटे एक कॉलेज में माली का काम करते थे. लेकिन 2007 में जब उन्हें नौकरी से निकाल दिया तो घर में खाने-पीने के भी लाले पड़ गये थे. तब अमन के पिता भी छोटी मोटी नौकरी किया करते थे. वो आज भी यूपी के ललितपुर में शादी-ब्याह में हलवाई का काम करते हैं. 

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अमन के पिता 3 भाई हैं. इनमें से एक चाचा उनके साथ स्लम एरिया में ही रहते थे. वो घर चलाने के लिए पास के गोल्फ़ ग्राउंड में गोल्फ़र की गोल्फ़ किट ढोने का काम करते थे, जिन्हें ‘कैडी’ भी कहा जाता है. अमन जब 14 साल का हुआ तो वो भी अपने चाचा के साथ गोल्फ़ ग्राउंड जाने लगा. तब अमन को एक दिन के 10 रुपये मिलते थे.

दरअसल, गोल्फ ग्राउंड काफ़ी बड़ा होता है. गोल्फ़र गेंद को हिट करते-करते काफ़ी दूर तक निकल पड़ते हैं. इस दौरान ‘कैडी’ भी उनके साथ चलता है. क़रीब 10 किलो का गोल्फ़ किट कंधे पर टांगकर ‘कैडी’ को गोल्फ़र के पीछे-पीछे चलना पड़ता है. गोल्फ़ का एक गेम कई घंटों तक चलता है. ऐसे में ‘कैडी’ का काम बेहद मुश्किल हो जाता है. 

गोल्फ़ कोच का सर्टिफ़िकेट किया हासिल

गोल्फ ग्राउंड में कैडी का काम करने के साथ-साथ अमन पढ़ाई भी कर रहा था. 12वीं के बाद ग्रेजुएशन में भी एडमिशन ले लिया. अमन भोपाल के जिस अधिकारी की गोल्फ़ किट ढोता था, इसी ने उन्हें गोल्फ़ खेलने का हौसला दिया. अमन की दिलचस्पी धीरे-धीरे गोल्फ़ की तरफ बढ़ने लगी. आख़िरकार साल 2017-18 में अमन गोल्फ़ स्टिक लेकर बतौर गोल्फ़र खेलने लगा. वो खेलते-खेलते इतना एक्सपर्ट हो गया कि साल 2020 में अमन ने गोल्फ़ कोच का सर्टिफ़िकेट तक हासिल कर लिया

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अमन जीत चुका है कई गोल्फ़ टूर्नामेंट

अमन सिंह राजपूत लगातार 2020, 2021 और 2022 में BHEL Golf Open Tournament में गोल्ड मेडल (Gold Medal) अपने नाम कर चुका है. इसके अलावा उन्होंने साल 2020 में हुए ‘द इंडियन गोल्फ यूनियन’ में भी क्वालिफाई किया. अमन अब नेशनल लेवल पर खेलने की तैयारी कर रहा है. 

आज अमन सिंह राजपूत की सफ़लता देख स्लम के अन्य बच्चे भी गोल्फ़ में इंटरेस्ट लेने लगे हैं. जो लोग पहले उनका मज़ाक उड़ाया करते थे वो आज अपने बच्चों को अमन के पास गोल्फ़ सीखने के लिए भेज रहे हैं.

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