एक पैर के बिना ज़िंदगी जी रही दादी मां अपने दुख भूल विकलांग बच्चों के लिए बना रही हैं ख़ास Dolls

Akanksha Tiwari

दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं, एक वो जो हमेशा अपनी ज़िंदगी से शिकायतें करते रहते हैं. दूसरे वो जो तमाम दिक्कतों से जूझने के बाद भी ज़िंदगी के हर लम्हे को ज़िंदादिली के साथ जीते हैं.

अब Lincolnshire के Allington में रहने वाली Andrea नामक इस महिला को ही देख लीजिए. Andrea के चेहरे की चमक और मुस्कान देखने के बाद कोई इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता कि इनकी लाइफ़ में किसी तरह की कोई दिक्कत हो सकती है. मधुमेह की बीमारी से पीड़ित होने के कारण Andrea को अपना एक पैर खोना पड़ा, यानि हंसती-मुस्कुराती ये बुज़ुर्ग महिला एक पैर अपनी ज़िंदगी बिता रही है.

इतना ही नहीं, अपनी-अपनी ज़िंदगी में ख़ुशियों के रंग भरने के साथ-साथ Andrea कई विकलांग बच्चों को भी ख़ुशियां देने का प्रयास कर रही हैं और अपनी इस कोशिश की वजह से वो दुनियाभर के बच्चों की दादी मां भी बन चुकी हैं. दरअसल, Andrea प्यारी-प्यारी सी डॉल बना कर, दुनियाभर के कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ला रही हैं. न-न ये डॉल बाज़ार में मिलने वाली आम डॉल जैसी बिल्कुल नहीं है, पर हां क्यूटनेस के मामले में दादी मां द्वारा बनाई गई ये डॉल भी किसी से कम नहीं है.

Andrea इन Dolls को अपने हाथों से बनाती हैं. क्रोशिया से बुनी हुई ये Dolls भी अपंग हैं. कहा जा सकता है कि ये नई कोशिश है, विकलांग बच्चों को दुनिया से अलग न महसूस कराने की. Andrea दुनिया भर के Amputee बच्चों को अब तक पचास से अधिक डॉल मुहैया करा चुकी हैं. Andrea बताती हैं, ‘उन्होंने फ़ेसबुक पर ‘Amputee Friends UK’ नामक एक ग्रुप भी जॉइन कर रखा है, ताकि वो और लोगों के साथ मिलकर इस काम को और अच्छे से कर सकें.’ आगे बताते हुए Andrea कहती हैं कि वास्तव में ये एक समुदाय की तरह है.

हाथों से क्रोशिया द्वारा डॉल बनाने के आईडिया कैसे आया इस पर बात करते हुए Andrea बताती हैं, ‘Ffion ग्रुप में एक महिला ने अपनी विकलांग बेटी के बारे में पोस्ट करते हुए कहा कि ये किसी भी स्कूल में फ़िट नहीं हो रही है और मैं तंग आ चुकी हूं. बच्ची की मां की बात सुनने के बाद मुझे आईडिया आया कि मैं ठीक उसी की तरह एक डॉल बनाउंगी और मैंने बिना एक पैर वाली डॉल बना कर, उस महिला से पूछा क्या मैं इसे पोस्ट करूं, महिला के हां कहने पर मैंने वो डॉल पोस्ट की और देखते ही देखते इस डॉल ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया.’

इसके बाद मैंने शारीरिक रुप से विकलांग बच्चों के लिए इस तरह की डॉल बनानी शुरू कर दी, ताकि माात-पिता इन Dolls के ज़रिए बच्चों को अच्छे से समझा कर सकें. बच्चों के साथ ये Dolls, Adult Amputees को भी बहुत पंसद आ रही है. Andrea ने ये Dolls दान कराने की भी सोची, लेकिन अफ़सोस कोई भी संंस्थान खिलौने दान नहीं करती.

Andrea आपकी ये कोशिशें लाजवाब हैं. इतना ही नहीं, आपकी तारीफ़ों के लिए शब्द भी कम पड़ रहे हैं. आपके हौसले को सलाम.

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