उत्तर भारतीय राज्यों के रहने वाले हमसे ज़रा अलग हैं. इनमें उनकी कोई ग़लती नहीं है. पर हम कोई मौका नहीं छोड़ते उन्हें ज़लील करने का. चाहे वो देश का कोई भी शहर हो, पर उत्तर-पूर्वी राज्यों के बाशिंदो को हमेशा हम Judge करते हैं, कभी उनके पहनावे पर, कभी शक्ल, तो कभी भाषा पर.
दिल्ली गोल्फ़ क्लब से एक खासी महिला को सिर्फ़ इसलिए बाहर जाने के लिए कह दिया गया क्योंकि उस महिला ने पारंपरिक पोशाक पहनी हुई थी.
25 जून को दिल्ली गोल्फ़ कल्ब में दार्शिनक, डॉक्टर, बड़े-बड़े अफ़सरों समेत कई बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया था. मेघालय की Tailin Lyngdoh, को भी आमंत्रित किया गया था. Tailin खासी समुदाय की महिला हैं जिन्होंने लंदन से लेकर UAE तक की यात्रा अपने Jainsem (पारंपरिक पोशाक) में की है. Jainsem खासी समुदाय की पारंपरिक पोशाक है.
रविवार दोपहर, Function के Manager ने Tailin को वहां से जाने को कहा. उनके अनुसार उस Function में ‘काम करनेवाली को वहां बैठने की इजाज़त नहीं.’
Nivedita Barthakur, जो Tailin के साथ ही थी ने Manager के इस बर्ताव का विरोध किया. तब Manager ने बड़ी ही सरलता से जवाब दिया कि Tailin के कपड़े किसी Maid की तरह हैं. Manager को बताया गया कि Tailin को वहां आमंत्रित किया गया था और उन्होंने अपनी पारंपरिक पोशाक पहनी थी. Nivedita ने पूरी घटना को फ़ेसबुक पर पोस्ट किया.
सारी बातें जानने के बाद भी Manager अपनी बात पर अड़ा रहा. वहां बैठे बाकि लोग भी मूक दर्शक ही बने हुए थे. कुछ लोग तो ‘पता नहीं कहां-कहां से आते हैं.’ जैसी टिप्पणियां भी कर रहे थे.
समझ में नहीं आता कि हम किस आधुनिकता की बात कर रहे हैं? क्योंकि हमारा स्वभाव तो कहीं से भी ये नहीं दर्शाता कि हम आधुनिक हैं. कुछ दिनों पहले मैंने ख़ुद दो उत्तर पूर्वी लड़कियों पर फब्तियां कसते हुए कुछ Well-Educated औरतों को देखा था. कोई अगर हमसे अलग है तो इसके कहीं से ये मतलब नहीं कि हम उनका मज़ाक उड़ाए या उन्हें कहीं आने-जाने से रोकें. जब तक ये सोच नहीं बदलेगी तब तक देश नहीं बदलने वाला.
इस घटना के एक दिन बाद ही दिल्ली गोल्फ़ क्लब के अधिकारियों ने पूरी घटना की जांच की और जिस Guest के साथ Tailin वहां आईं थीं, उनसे माफ़ी मांगी है. हालांकि क्लब द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में Tailin से सीधे तौर पर माफ़ी नहीं मांगी गई.
Source: Inuth