किरायेदार बनो तो ऐसे बनो, एक मकान मालिक ने अपनी वसीयत की किरायेदार के नाम

Maahi

हर इंसान को बुढ़ापे में किसी के सहारे की ज़रूरत होती है. जो उसका ख़्याल रखे, उसे दो वक़्त का खाना दे सके. ये तभी संभव हो सकता जब उनके बच्चे अपने बुज़ुर्ग मां-बाप के इस दर्द को समझ पाएं. इंसान ज़िंदगी भर एक-एक रुपया इसलिए बचाता है ताकि बुढ़ापा आराम से कट जाये. आज के दौर में बच्चों की सोच एकदम बदल सी गयी है, वो अपने पेरेंट्स के साथ रहना ही नहीं चाहते. जबकि बुज़ुर्ग अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने बच्चों के साथ ही तो बिताना चाहते हैं. लेकिन हर किसी की किस्मत ऐसी कहां होती है.

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आज हम आपको एक चौंकाने वाली ख़बर देने जा रहे हैं. 94 साल Wynford Hodge नाम के शख़्स ने मरते वक़्त अपनी वसीयत अपनी पत्नी Joan Thompson के नाम न करके अपने दो किरायेदारों के नाम कर दी. 42 साल एक-दूसरे के साथ रहने के बाद भी Hodge ने अपनी पत्नी के साथ ऐसा क्यों किया ये भी उन्होंने वसीयत में लिखा है. वसीयत के मुताबिक Hodge का कहना था कि मेरे आख़िरी पलों में दोनों किरायेदारों ने मेरी बहुत सेवा की. जबकि मेरे चार बच्चे और पत्नी मुझे अकेला छोड़कर चले गए थे. जबकि वसीयत में उन्होंने अपनी पत्नी को Financially Comfortable बताया और उनके लिए अपने बैंक अकॉउंट में मात्र 2.5 डॉलर छोड़कर गए.

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मरते वक़्त Hodge की कुल प्रॉपर्टी की कीमत 1.5 मिलियन डॉलर से भी ज़्यादा थी. जिसे उन्होंने अपने दो किरायेदारों के नाम कर दिया. इसके बाद Hodge की पत्नी Joan Thompson को अपने घर के बजाय एक नर्सिंग होम में रहने को मज़बूर होना पड़ा.

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लेकिन Joan Thompson की हालत को देखते हुए जज ने Hodge की वसीयत को बदलने का फ़ैसला किया. नई वसीयत के मुताबिक़ Thompson को रहने के लिए ढाई लाख डॉलर की कीमत वाला एक Cottage और जीवन यापन के लिए 1.9 लाख डॉलर कैश दिया गया.

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