कोरोना वायरस को हराने के बाद एक मां ने अपने बेटे को अपनी किडनी देकर बचा ली उसकी जान

J P Gupta

एक मां से बढ़कर इस दुनिया में अपने बच्चे को कोई नहीं चाह सकता. ये बात एक बार फिर से साबित कर दी है बांग्लादेश से आई एक मां ने. उन्होंने कोरोना से पीड़ित होते हुए भी अपने बेटे की जान बचाने के लिए किडनी डोनेट कर दी. कोरोना पीड़ित से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने का ये संभवत: पहला मामला है जो कोलकाता से सामने आया है. 

दरअसल, उत्तम कुमार घोष जो बांग्लादेश के रहने वाले हैं वो किडनी की बीमारी से पीड़ित थे. वो अपनी मां के साथ अपना इलाज करवाने के लिए कोलकाता आए थे. ये दोनों जब भारत में आए थे तो देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लग गया. इसके कारण RN Tagore International Institute Of Cardiac Sciences (RTTICS) अस्पताल में जहां इनका इलाज चल रहा था, वो इनकी सर्जरी शेड्यूल नहीं कर पाए.

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क्योंकि हेल्थ मिनिस्ट्री से आदेश था कि केवल आपातकाल में ही कोई सर्जरी की जाएगी, इसके अलावा सभी डॉक्टर्स कोरोना पीड़ितों का इलाज करेंगे. इसी बीच इन दोनों को भी कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया. उन्हें कोरोना के इलाज के लिए MR Bangur अस्पताल शिफ़्ट किया गया, जहां किडनी वाले मरीज़ों की अच्छे से देखभाल होती है.

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उत्तम कुमार 38 साल के हैं और उनकी मां 65 साल की और दोनों को डॉक्टर्स ने इलाज कर कोरोना से बचा लिया. अब समस्या ये थी कि कैसे बेटे की किडनी का ट्रांसप्लांट किया जाए. तब डोनर न होने के चलते उनकी मां ही उन्हें किडनी देने को तैयार हो गईं. लेकिन उन्हें ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए 14 दिनों का और इंतज़ार करना पड़ा ताकि ये पक्का किया जा सके कि दोनों कोरोना के संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित हैं.

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बीती 3 जुलाई को उत्तम का ऑपरेशन कर उनकी मां की किडनी उनके शरीर में ट्रांसप्लांट कर दी गई. उनकी मां को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. वहीं उत्तम को कुछ दिनों के लिए अभी अस्पताल में ही रहना होगा. उन्हें पूरी तरह ठीक हो जाने के बाद ही अस्पताल से छुट्टी मिलेगी. उत्तम कुमार ने इस बारे में बात करते हुए कहा- ‘M R Bangur अस्पताल के लोगों ने हमारी बहुत अच्छे से देखभाल की. उन्होंने हमें कभी महसूस नहीं होने दिया कि हम बाहरी हैं. यही नहीं उन्होंने हमारा हमेशा हौसला बढ़ाया और कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ने दी.’

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वहीं उनकी मां कल्पना को जब पता चला कि वो और उनका बेटा कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, तो उन्हें थोड़ा डर ज़रूर लगा था. पर उन्होंने भी हिम्मत नहीं हारी क्योंकि वो अपने बेटे की जान बचाने के लिए जीना चाहती थीं. आज देखिए दोनों मां-बेटे सुरक्षित हैं.

सच मां से बढ़कर इस दुनिया में अपने बच्चे को कोई नहीं चाह सकता.
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