बच्चों की ज़िन्दगी संवारने के लिए रोज़ 1500 ईंटों को टक्कर देती है ये मां

Sanchita Pathak

कहते हैं वक़्त सबकुछ सिखा देता है. जैसे सोना तपती आग में ही निखर पाता है, उसी तरह विपरीत परिस्थितियों में ही इंसान की क़ाबिलियत का पता चलता है. अगर मां की बात करें, तो उसमें ये विशेषता दोगुनी होती है. अपने बच्चों के लिए, उनकी ख़ुशी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. मशहूर फ़ोटोग्राफ़र GMB Akash ने भी एक मां की कहानी शेयर की.

‘मेरे पति ने मुझे 5 महीने की गर्भावस्था में अकेले छोड़ दिया. वो अचानक गायब हो गया और कभी नहीं लौटा. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं अपने दो बच्चों और ख़ुद की रक्षा कैसे करूंगी? मैं टूट चुकी थी. मुझे घर के काम के अलावा किसी काम का अनुभव नहीं था. 

मुसीबतें और तकलीफ़ें किसी भी इंसान को कुछ भी सिखा देती हैं. मेरे बच्चे के पैदा होने के बाद मैं यहां काम करने लगी. मैं जहां भी काम करती हूं अपनी बच्ची, हबीबी को अपने साथ रखती हूं ताकी मैं ईंटें तोड़ने के साथ-साथ उसका भी ध्यान रख सकूं. मैंने दूसरी बेटी को एक मुस्लिम अनाथालय में दे दिया. 
मैं रोज़ सुबह से शाम तक काम करती हूं और 1500 ईंटें तोड़ सकती हूं. मुझे 1000 ईंटें तोड़ने के 150 टाका मिलते हैं. पहले दिन मैं सिर्फ़ 30 ईंटें तोड़ पाई थी. मैं रोज़ ज़्यादा काम करने और ज़्यादा पैसे कमाने की कोशिश करती हूं ताकी मेरे बच्चों को एक अच्छी ज़िन्दगी मिल सके. मैंने उन्हें स्कूल भेजना चाहती हूं, शिक्षित करना चाहती हूं ताकी उनकी ज़िन्दगी मेरे जैसी न हो.
मेरा पति अच्छा आदमी नहीं था. वो देर रात लौटता और मुझे रोज़ मारता. वो जुआ खेलता था… जब भी वो हारता, मुझे और ज़्यादा प्रताड़ित करता पर मैं कहीं और नहीं जा सकती थी. मैंने अपने पूरे परिवार को 7 साल की उम्र में ही खो दिया था.
मैं ख़ुश हूं कि मेरा पति अब मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा नहीं है. भगवान जो करता है अच्छे के लिए करता है. मैं अब काम कर सकती हूं, ख़ुद के लिए और अपने बच्चों के लिए कमा सकती हूं. औरतें मर्दों पर निर्भर नहीं रहती, ये मैंने सीख लिया है. औरतें जो चाहें, वो कर सकती हैं. भूख नामुमकिन को भी मुमकिन करवा सकती है.’

सच ही तो है, हालात सब कुछ सीखा देते हैं. कुछ सीखें या नहीं, किसी पर निर्भर नहीं होना सीख लिया तो कुछ भी असंभव नहीं. 

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