ज़िंदगी जब हताश हो न, तो कुछ नया करने की सोचना चाहिए. ये मैं अपने अनुभव से आप लोगों को बोल रही हूं. दरअसल, मेरी ज़िंदगी का एक दौर था जब मैं करियर की लड़ाई से लड़ रही थी. कॉलेज अच्छे से हो गया था, इंटर्नशिप बड़े-बड़े चैनल्स में कर ली थी. मगर जब जॉब की बात आई तो मेरे सारे दोस्त आगे निकल चुके थे और मैं कहीं न कहीं पीछे छूट गई थी.
इन्हीं सब टेन्शन्स के साथ एक दिन बैठी थी. सोच रही थी क्या करूं? सिर्फ़ रोती रहूं कि मुझे क्यों जॉब नहीं मिल रहा या कुछ नया ढूंढने की कोशिश करूं. इसी नए की कोशिश में मुझे मेरी दोस्त की याद आई, जिसने मुझे अपने घर बुलाया था. वो जयपुर रहती थी, तो मैंने उसी के घर जाने का प्लान बनाया.
हालांकि मुझे घूमने का शौक़ है, लेकिन उस समय जॉब न मिलने के कारण इतनी दुखी थी कि अपने शौक़ को नज़रअंदाज़ कर बैठी थी. मगर उस दिन ख़ुद को संभाला और जयपुर जाने का प्लान बना लिया. नई जगह थी तो इसलिए वहां जाने के लिए एक्साइटेड थी. वहां मैं शाम को पहुंची और उसी समय से घूमना शुरू कर दिया. उस दिन तो बस आस-पास की जगहें देखीं. अगले दिन आमेर का क़िला, नाहरगढ़ का क़िला, जलमहल, हवा महल, मार्केट्स और गलियों में दोस्त के साथ घूमने निकल गई.
उन दिनों मैं अपनी जॉब की टेंशन से ख़ुद को दूर कर चुकी थी और सिर्फ़ उन पलों को जी रही थी. तभी अगली सुबह दोस्त ने बोला तू मेरे ऑफ़िस में इंटरव्यू दे, बाकी भगवान पर छोड़ दे. मैंने भी हां कर दी. मेरी शाम की वापसी थी और सुबह मुझे इंटरव्यू देना था, तो मैं दे आई. मगर ख़ुश बहुत थी अपनी इस ट्रिप से तो मैंने रिज़ल्ट की ज़्यादा टेंशन नहीं ली. इंटरव्यू अच्छा हुआ और उन्होंने कहा कॉल करेंगे. उनका ये कहना मैं समझ गई कॉल कभी नहीं आएगी.
इसके बाद शाम को दिल्ली वापस आ गई. कुछ ही दिन बीते थे वहां से कॉल आ गया. मैंने घर पर सबको बताया और सब मेरे जाने की तैयारी करने लग गए.
उस दिन एक बात तो समझ आई कि परेशानियां ज़िंदगी में आती रहती हैं, लेकिन ज़िंदगी को जीना नहीं छोड़ना चाहिए. मैं उस दिन वो ट्रिप नहीं करती तो शायद मुझे करियर के लिए नई राह नहीं मिलती या ये जॉब नहीं भी मिलती मुझे कुछ नया करने को नहीं मिलता. इसलिए कुछ न मिलने का ग़म मत करो, उठो और अपने लिए ख़ुद रास्ते बनाओ, जो भी फ़ेवरेट कामहो वो करो. मेरी तरह ट्रैवलिंग पसंद है तो वो करो.
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