उन्नाव की नुपुर ने अपनी कमज़ोरी को ढाल नहीं, बल्कि ताक़त बनाया. प्रेरणादायक है इनकी कहानी

Kratika Nigam

बैसाखी लेकर चलना बहुत आसान है, लेकिन ख़ुद के क़दमों की रफ़्तार धीमी होने पर दुनिया की बातों के बीच ख़ुद किसी की बैसाखी बन जाना बहुत मुश्क़िल है. इस बात को अगर किसी ने जिया है, तो वो है उन्नाव की रहने वाली नुपुर चौहान ने.

जैसे सब बच्चे दुनिया में आते हैं वैसे ही नुपुर भी इस दुनिया में आई, लेकिन डॉक्टर्स की एक लापरवाही के कारण नुपुर की ज़िंदगी ही थम गई. इस हफ़्ते नुपुर सोनी टीवी के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के सीज़न 11 की हॉट सीट पर पहुंच गई. जहां धैर्य और सहजता के साथ अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए उन्होंने 12 लाख़ 50 हज़ार रुपये जीते. शो में नुपुर ने अपनी पूरी कहानी दुनिया को सुनाई और अपने साथ हुई इस लापरवाही के बारे में बताया.

जब सदी के महानायक ने उनसे पूछा कि आपकी ये स्थिति कैसे हुई, तो नुपुर ने बताया,

जब वो पैदा हुईं, तो वो रोई नहीं और डॉक्टर्स ने उन्हें मृत मानकर कचरे की पेटी में फेंक दिया. मगर उनकी नानी और मौसी ने नर्स को कुछ पैसे देकर नन्हीं सी नुपुर को साफ़ करके के देने को कहा. जब वो साफ़ कर रही थी तो उन्होंने कहा ज़रा इसको मार कर देखना. जैसे ही नर्स ने हल्का सा मारा नुपुर के शरीर में हरकत हुई. फिर उसका इलाज शुरू हुआ लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और नुपुर के शरीर में ऑक्सीजन की कमी से उनके शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज़ हो चुका था. 

जब नुपुर थोड़ी बड़ी हुईं, तो उन्होंने हैदराबाद के एक डॉक्टर से अपना इलाज कराया. भले ही नुपुर के शरीर को डॉक्टर ने चलाया हो लेकिन अपने क़दमों को तेजी नुपुर ने अपने साहस से ही दी है. नुपुर ने अपनी पढ़ाई शुरू में स्पेशल बच्चों के स्कूल की थी, लेकिन जब उनक टेस्ट हुआ तो उनकी योग्यता देखकर उन्हें नॉर्मल स्कूल में जाने को कहा. वहां पर भी नुपुर को कई ताने सुनने पड़े. क्योंकि वो दूसरों से अलग थी इसलिए. मगर नुपुर वहां पर भी चट्टान की तरह अड़ी रहीं. 

आज उन्नाव में नुपुर का कोचिंग सेंटर है, जिसकी शुरूआत उन्होंने दो बच्चों के साथ की. आज उनकी कोचिंग में 14 बच्चे हैं. 

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आप बीती बताने के बाद नुपुर ने हॉट सीट के माध्यम से एक अपील सब डॉक्टर्स से की, कि अगर आप डॉक्टर की शपथ लेते हैं, तो प्लीज़ अपने काम को ईमानदारी से करिए, ताकि किसी को एक ग़लती की सज़ा पूरी ज़िंदगी न भुगतनी पड़े. 

इसके बाद नुपुर ने व्हील चेयर से न चलने का कारण बताते हुए कहा, 

मैंने सोच लिया था कि अपनी आखिरी सांस तक कभी व्हील चेयर का सहारा नहीं लूगी. क्योंकि मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा सपना है ख़ुद को व्हील चेयर पर देखना. इसलिए वो व्हील चेयर पर नहीं चलती. 

नुपुर के इस साहस को देखते हुए अमिताभ बच्चन ने नुपुर के लिए आर डी तायलन द्वारा लिखित कविता पढ़ी: 

नुपुर के साहस, धैर्य और जीवट ने साबित कर दिया कि उड़ान हौसलों की होती है क़दम तो बस ज़रिया हैं. आज नुपुर हर उस शख़्स के लिए मिसाल हैं जो ख़ुद को हारा हुआ समझ रहा होगा.

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