आज जो भी चीज़ें हमारी आंखों के सामने हैं, उनका एक इतिहास रहा है, जहां से वो बनता-बिगड़ता हुआ सही रूप में हमारे सामने पहुंचा है. बेशक हिस्ट्री नाम का सब्जेक्ट स्कूल के दिनों में आंखों पर नींद को हावी कर देता था, पर सच ये है कि इसी हिस्ट्री की वजह से हम अपने बीते हुए कल के बारे में जानकारी हासिल कर पाते हैं. इतिहास में ही कई ऐसी चीज़ें दर्ज हैं, जो आज भले ही हमें अजीबोगरीब लगे, पर किसी समय इन्हीं जुगाड़ों का बोलबाला था. आज हम आपके लिए इतिहास से कुछ ऐसे ही जुगाड़ों की तस्वीरें ले कर आये हैं, जिन्हें देख कर आप भी कहेंगे कि अपने पुर्वज, तो सच में खिलाड़ी निकले.
मामू अपना सारा जुगाड़ खुद करके चलते हैं.
ये कहां आ गये हम?
ये लड़का बहुत आगे जायेगा.
ख़बरदार आप कैमरे की नज़र में हैं.
ये क्या जुगाड़ है?
अकेले-अकेले क्या देख रहे हो?
यहां ज़रूरत से ज़्यादा ही तरक्की मौजूद थी.
प्राचीनकालीन Bong.
कौन कहता है अंडे सिर्फ़ गोल होते हैं
कोई किसी के कार्ड नहीं देख सकता था.
सारे घर के लिए एक बाइक.
समझे च्यूइंग गम से पहले भी कुछ हुआ करता था.
पानी पर बाइक का सफ़र.
इस स्विम मास्क का इस्तेमाल तो फ़िल्मों में मर्डर के लिए होता था न!
तब भी चुटकियों में तैयार होता था खाना.
बच्चे ऐसे संभाले जाते थे.
उस समय भी था डिंपल का बोलबाला.
बोले तो, उस समय कोई गंजा नहीं था.
ओ भाई साहब तब ऐसे होती थी मसाज.
इसकी ज़रूरत, तो आज भी है बॉस.
सोलर बाथ का क्रेज़ तब भी, आज भी.
बच्चे हमेशा से ही ऐसे संभाले जाते रहे हैं.
लगता है अंकल कहीं और से चलते हैं.
कसम से अंकल ने फ़ैन बना लिया.
उठ जा नहीं, तो ये उठा लेगा.
हैं इसका भी पंप होता था!
ये जो भी हो रहा है, बड़ा ही डरावना हो रहा है.
अंग्रेज़ भी कुछ कम जुगाड़ू नहीं थे.
बम से नहीं, हम शोर से लेंगे बदला.
ये सच में चिकन ही पक रहा है न!
ये चल क्या रहा है?
Dj वाली मैडम ने यहीं डिस्क लगा दिया.
अपनी सुरक्षा, अपने हाथ.
ऐसे हेयर-ड्रायर से, तो बंदा सूख जाये. ये तो बस बाल हैं.