कौन कहता है मुम्बई के पास वक्त नहीं? 1870 के करीब बॉम्बे तीन तरह के समय का पालन करता था

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कहते हैं मुम्बई के लोगों के पास वक्त नहीं होता. वैसे तो ये जुमला वहां के व्यस्त जीवन को ध्यान में रखते हुए बोला जाता है, लेकिन 1870 के करीब वहां के लोगों के पास तीन-तीन वक्त थे. वक्त से यहां मतलब समय से ही है. ये सुनने में थोड़ा अजीब है, पर सच है. साल 1870 के आस-पास, बॉम्बे के लोग 3 अलग-अलग टाइम ज़ोन फॉलो करते थे. ये कंफ़्यूज़न करीब 30 सालों तक चला था. 

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साल 1960 में आॅस्ट्रेलिया के स्कॉलर James Cosmas Masselos मुम्बई आए थे श​हरी इतिहास पढ़ने, तब उन्होंने इस बारे में जाना. James ने इसे ‘Battle of the Clocks’ का नाम दिया था. उस वक्त कुछ लोग ‘Bombay Time’ फॉलो करते थे, जबकी क्लॉक टावर का अलग वक्त रहता था. इसकी और रिसर्च करने के लिए जेम्स ने महाराष्ट्र के दस्तावेज़ काला घोड़ा में देखे और लंदन में भारतीय आॅफिस के रिकॉर्ड देखे.

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क्यों थे तीन वक्त?

‘Bombay Time’ उस वक्त बॉम्बे के कुछ ही लोग फॉलो करते थे. ये Greenwich Mean Time (GMT) से 4 घंटे 51 मिनट आगे था और सूरज की गतिविधी पर निर्भर करता था. ये सिर्फ़ शिव (Sion) से माहिम तक के लोग फॉलो करते थे.

बाकी भारत का हिस्सा ‘Railway Time’ फॉलो करता था. इसे Madras Time/Indian Mean Time भी कहते थे. ये समय GMT से 5 घंटे 21 मिनट आगे था. ये Madras Observatory के लॉन्गीट्यूड पर निर्भर करता था.

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इन दोनों समय में 30 मिनट का फ़र्क था. अब किसी को 10 बजे कहीं पहुंचना होता था तो या तो वो 30 मिनट पहले पहुंच जाता था या देरी से.

Mid-day के अनुसार Masselos कहते थे कि-

बॉम्बे के लोग खुद को खास समझते थे. यहां सिर्फ़ देश की लड़ाई नहीं थी बल्कि शहरों के बीच भी खुद को बेहतरीन साबित करने की जद्दोजहद चलती रहती थी. इसलिए बॉम्बे, मद्रास के वक्त के हिसाब से नहीं चलता था.

लेकिन वक्त की कंफ़्यूज़न सिर्फ़ दो खेमों में नहीं बंटी थी. बॉम्बे में बंदरगाह की भी अपनी खास अहमियत थी. इसलिए बॉम्बे के पूर्वी हिस्से के लोगों का एक और स्टैंडर्ड टाइम था, जिसे वो Port Standard Time कहते थे. ये समय GMT से पांच घंटे आगे था. 

उदाहरण के तौर पर बॉम्बे में उस वक्त 10:00, 10:09 और 10:30 एक साथ बजता था.

उस वक्त बॉम्बे में चलना, समय में चलने के बराबर था. ये समय की कंफ़्यूज़न दूर हुई जब टेलीग्राफ़ का इस्तेमाल होना शुरु हुआ. इसमें एक निश्चित समय होना ज़रूरी था.

लगभग 30 सालों की इस Time War के बाद पूरे देश ने एक स्टैंडर्ड समय अपना लिया, जिसे अब हम Indian Standard Time (IST) कहते हैं. ये इलाहाबाद की बेधशाला की लॉन्गीट्यूड के हिसाब से तय हुआ है. ये समय GMT से 5 घंटे 30 मिनट आगे था. लेकिन बाद में बॉम्बे ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए वो समय फ़ॉलो करने से इंकार कर दिया. Jacob Sassoon Mill के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए ओर अपना वक्त 5.30 AM से 6.09 AM करने से मना कर दिया. बाद में 1950 के करीब आखिरकार बॉम्बे ने भी IST फ़ॉलो करना शुरू ​कर दिया. 

Article Source- Mid-Day

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