उस रात अपनी अजन्मी बच्ची के लिए मैं डर भले ही गई थी, पर मेरा ये Open Letter उसमें साहस भर देगा

Kratika Nigam

एक रात मैं सो रही थी और सोते-सोते अचानक से उठ गई और रोने लगी. रात के सन्नाटे में पंखे की आवाज़ भी मुझे परेशान कर रही थी तो मैंने उसे बंद कर दिया. दरअसल, मैं प्रेगनेंट हूं और मैंने जबसे हाथरस केस के बारे में सुना है मेरी रातों की नींद उड़ चुकी है क्योंकि मैं भी बहुत जल्द एक मां बनने वाली हूं और डर मुझे इस बात का है कि अगर वो लड़की हुई तो मैं उसे इस दुनिया से कैसे बचाऊंगी? क्या मैं उसे क़ैद करके रखूंगी? या उसे जीने नहीं दूंगी? बहुत ही कशमकश चल रही थी, तभी मैंने सोचा जब मैं कभी क़ैद में नहीं रही, हमेशा खुले आसमान में आज़ाद पंछी की तरह उड़ी तो मैं अपनी बेटी के साथ ऐसा क्यों करूंगी?

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मैं मानती हूं ये दुनिया बहुत बुरी है, यहां रहने वाले कुछ लोगों को लड़कियां सिर्फ़ एक चीज़ नज़र आती हैं, जिसे वो कभी भी अपनी हवस का शिकार बना सकते हैं. अपने बदले के लिए उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. मगर क्या उसे इन लोगों से डर के जीने के लिए दुनिया में लाऊं? इनके आगे हमेशा गिड़गिड़ाना सिखाऊं? नहीं मैंने ठान लिया कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी. 

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तब मैंने ख़ुद को संभाला और रात के उसी अंधेरे में उससे बात करने लग गई. उसे इस अंधेरी काली दुनिया में रौशनी दिखाने की कोशिश की. उसे बताया कि इस दुनिया में डरकर नहीं डटकर जीना और कभी क़दम डगमगाए या किसी राह पर तुझे डर लगा तो तेरी मां का हाथ हमेशा तेरे साथ होगा. ये दरिंदें हैं इन्हें सिर्फ़ नोचना आता है इनके पास हिम्मत नहीं है तो तू इनसे डरना मत.

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इस दुनिया में आने के बाद तुझे तेरी हिम्मत ख़ुद बनना होगा. इस खुले आसमान में अपने पंखों को ख़ुद उड़ान देनी होगी. यहां पर बहुत कुछ है, जो तुझे देखना है बदलना है. ये वही दुनिया है जहां तेरी मां तुझे लेकर आएगी, जहां वो हर क़दम पर तेरे साथ है. बस तुझे डरना नहीं है, हारना नहीं है. 

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जिसके लिए मैं रो रही हूं, जिस बात ने तुझे डरा दिया है, वो लड़की बहुत हिम्मती थी. ये वहशी उसके शरीर को ही दर्द पहुंचा पाए हैं उसकी आत्मा को नहीं छू पाए. इनमें किसी की आत्मा को छूने और उसे मैला करने की ताक़त ही नहीं है. ये खोखले लोग हैं, जो सिर्फ़ एक लड़की के दामन से खेलते हैं.  

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चाहे निर्भया हो या लक्ष्मी ऐसी हिम्मती लड़कियों के आगे सब झुक गए, लेकिन झुका नहीं पाए. इसलिए बिल्कुल भी परेशान मत होना यहां आने से पहले कोख हो या दुनिया दोनों जगह महफ़ूज़ रहेगी तू.

फूल सी ही नाज़ुक होगी तू जब आएगी मेरे हाथों में

संभाल के रखूंगी तुझे इस दुनिया के अंधियारों से
हिम्मत बनना तू अपनी और सबकी
क्योंकि तू लड़की है कोई खिलौना नहीं.

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