इन मां-बेटी के बीच था केवल 30 किलोमीटर का फ़ासला, लेकिन मिलने में लग गए पूरे 45 साल

Rashi Sharma

विभाजन किसी चीज़ का हो, घर का हो या फिर देश का हो, दर्द ही देता है. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का दर्द केवल वो ही समझ सकता है, जिसने उस स्थिति का सामना किया हो. देश का बंटवारा अपने पीछे कई कहानियां छोड़ गया. ऐसी ही एक कहानी आज हम आपके लिए लेकर आये हैं, जो भारत और पाकिस्तान के ऐतिहासिक और दर्दनाक बंटवारे के बाद शुरू हुई थी, पर इस कहानी का अंत उस समय हुआ जब एक वृद्ध मां सालों बाद अपनी बेटी से मिली.

indiatimes

इस कहानी में मां और बेटी के बीच की दूरी महज 30 किमी की ही थी, लेकिन इनको आपस में मिलने में केवल पूरे 45 बरस लग गए. इस मां का नाम है ‘जायबा’.

आपको बता दें कि हेराल्‍ड डॉट डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, जायबा का जन्म भारत के लेह में हुआ था और वो अपने जन्म स्थान से महज 30 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के गिलगित-बाल्‍टीस्‍तान के चालूंका में थीं. लेकिन 45 साल तक वो अपने घर नहीं जा पायीं थीं. लेकिन पिछेल साल 29 अगस्‍त को कुछ ऐसा हुआ कि यह बेटी आखिरकार अपनी 96 वर्षीय मां से मिल ही गई. मगर दुर्भाग्य देखिये कि जब जायबा अपनी मां खातीबी से मिली तो उनकी मां लकवाग्रस्त थीं और उनकी देखने की क्षमता भी कम हो चुकी थी.

indiatimes

गौरतलब है कि दिसंबर 1971 से पहले तक चालूंका पाकिस्‍तान का हिस्‍सा था, लेकिन दोनों देशों के बीच हुए भयानक युद्ध के बाद यह भारत का हिस्‍सा बन गया. जिसके कारण इसके चलते जायबा अपने पति के साथ पाकिस्‍तान अधिकृत हिस्‍से में चली गईं. जबकि उनके माता-पिता और बाकी भाई-बहन भारत में रह गए. और उनके मन में अपने परिवार वालों से मिलने का सपना पलने लगा, लेकिन ये इतना आसान नहीं था. लेकिन जेबा के बच्चों ने उनको उनकी मां से मिलवाने के लिए पूरी कोशिश की और उन बच्चों की मेहनत रंग भी लायी. जायबा के भारत जाने के लिए उनके बच्‍चों ने कागज़ात जमा किए और 4 लाख रुपये भी जोड़े. आपको बता दें कि जायबा की ओर से नवंबर 2015 में पहली बार भारतीय वीजा के लिए आवदेन किया गया. लेकिन किन्हीं कारणों वश उनकी इस अर्जी को खारिज कर दिया गया. इसके बाद एक बार और उनकी वीजा की अर्जी रद्द हुई. परन्तु जून 2016 में जायबा को का वीजा मंजूर कर दिया गया और उनको वीजा मिल गया. और फिर वो भारत आ गयीं अपनी बिछड़ी हुई मां से मिलने.

indiatimes

भारत आने के बाद जायबा ने बताया कि चालुंका (गिलगित-बाल्‍टीस्‍तान) का खान-पान, लोग, भाषा और प्राकृतिक सुंदरता बिलकुल वैसी ही है जैसी उनके जन्मस्थान लेह की है. आपको बता दें कि अब जायबा 60 साल की हो चुकीं हैं.

indiatimes
जायबा ने हेराल्ड को उन्‍होंने बताया, ‘अलग होने के सात साल बाद मुझे पता चला कि मेरे माता-पिता और भाई-बहन चालूंका में हैं. जब पता चला कि वे जिंदा हैं, तो मुझे बहुत खुशी हुई. भारत सरकार मेरे परिवार का काफ़ी अच्छे से ख्‍याल रख रही है. चालूंका तक आने का सफ़र बेहद थकावट भरा था, लेकिन मैं अपनी मां को देखना चाहती थी. इससे मेरी राह आसान हो गई.’ आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां आने के बाद भारत सरकार कई बार उनके वीजा की अवधि बढ़ा चुकी है.

भारत और पाकिस्‍तान के बंटवारे की कई किस्से-कहानियों को हमने किताबों और फिल्‍मों में पढ़ा और देखा होगा. फिर भी असल जीवन के कई ऐसे किस्‍से हैं, जो आज भी सरहद के दोनों पार बिखरे पड़े हैं.

Source: indiatimes

आपको ये भी पसंद आएगा
बेवफ़ा समोसे वाला: प्यार में धोखा मिला तो खोल ली दुकान, धोखा खाये लवर्स को देता है डिस्काउंट
जानिये दिल्ली, नई दिल्ली और दिल्ली-NCR में क्या अंतर है, अधिकतर लोगों को ये नहीं मालूम होगा
जानिए भारत की ये 8 प्रमुख ख़ुफ़िया और सुरक्षा जांच एजेंसियां क्या काम और कैसे काम करती हैं
मिलिए गनौरी पासवान से, जिन्होंने छेनी व हथोड़े से 1500 फ़ीट ऊंचे पहाड़ को काटकर बना दीं 400 सीढ़ियां
ये IPS ऑफ़िसर बेड़िया जनजाति का शोषण देख ना पाए, देखिए अब कैसे संवार रहे हैं उन लोगों का जीवन
अजय बंगा से लेकर इंदिरा नूई तक, CEO भाई बहनों की वो जोड़ी जो IIM और IIT से पास-आउट हैं