इन तस्वीरों को देख कर लगता है, आंखों की गुस्ताखियों को कैमरे में ऐसे कैद किया जाता है

Manish

तस्वीरें आंखें देखती हैं, कैमरा तो बस उन्हें कैद करने का काम करता है. एक कैमरामैन के लिए उसके प्रोफेशन में जितना उसका धैर्य काम नहीं आता, उससे कहीं ज़्यादा उसका सही समय पर, सही जगह होना काम आता है. कभी-कभी हमें कुछ ऐसी चीज़ें नज़र आ जाती हैं, जिन्हें देखते ही दिमाग में पहला ख्याल आता है, काश हमारे पास इस पल कोई कैमरा हो. सही समय और सही जगह की वजह से आम तस्वीरें भी ख़ास बन जाती हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीरों का गुलदस्ता हम आपके लिए लाये हैं.

1. वक्त हमेशा ऊंचाई पर रहने वालों का ही सही रहता है.

2. इस खूबसूरती को आंखों में बसाये या फिर किसी के जूड़े में.

3. क्या इसे देख कर आप भी वही सोच रहे हैं, जो मैं सोच रहा हूं.

4. कुदरत की मार हमेशा सीधी और पैनी पड़ती है.

5. बागों में मटर की बहार है, हर एक, दूसरे के सामने मुकाबले को तैयार है.

6. कला का यह नमूना अब कई जगह अपने रंगों को बिखेरता जायेगा.

7. यहां टाइम से ज़्यादा मेहनत लगी है.

8. कुदरती अंधेरे को इंसानी रौशनी ने आखिर दूर कर ही डाला.

9. बीमारी ज़िन्दगी में अनुशासन रखना भी सीखा देती हैं.

10. डरीये मत, आपने पी नहीं रखी. ये तो, पेंटर की कलाकारी का कमाल है.

11. लगता हैं, यहां भी बिजली कभी-कभी आती है.

12. दिल के अल्फाज़ों को कलम की स्याही से दुनिया के पन्ने में समेटने की कोशिश.

13. किसी छैनी या हथौड़े से नहीं, वक्त की मार झेल कर यह निखर कर आया है.

14. किसी बच्चे की जमा-पूंजी भला इससे ज़्यादा और क्या होगी.

15. दिन ढलते गये और इन अंडों के रूप निखरते गये.

16. ऐसा खाना देख कर पेट के साथ-साथ आंखों को भी सुकून मिल जाता है.

17. आपने भी कभी अपने फ्रीज़र का ऐसी कलाकारियां दिखाने में इस्तेमाल किया है?

18. इस महंगाई में खाने को प्याज़ नहीं मिलते, भाई ने यहां बिछौना बना डाला.

19. दुनिया का पहला टमाटर होगा, जिसे अपने कटने के बाद गर्व महसूस हो रहा है.

20. आज लगता है मैदान में खेल नहीं बल्कि कोई जंग होने वाली है.

21. बताओ ये बिस्किट किधर गिरेगा?

शब्दों से ज़्यादा खेल इंसानी दिमाग के साथ तस्वीरें खेल जाती हैं. ऐसे में तस्वीर इन तस्वीरों जैसी हो, तो फिर बार-बार इनके साथ उलझने का मन करता है. 

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