19वीं शताब्दी की झकझोर देने वाली तस्वीरें, जब अमेरिका में ‘अलग’ दिखने पर सर्कस भेज दिया जाता था

Vishu

जिज्ञासा इंसानों का एक बुनियादी पहलू है. लीक से हटकर या परंपरागत रूप से अलग होने पर चीज़ें इंसान के कौतूहल का विषय बनती ही हैं, लेकिन 19वीं और 20वीं शताब्दी में इसी जिज्ञासा का अमेरिका के सर्कसों में बाज़ारीकरण हो चुका था.

पारंपरिक रूप से अलग लोगों को देख अक्सर लोग कल्चरर्ल शॉक में आ सकते हैं लेकिन 19वीं या 20वीं शताब्दी के दौर में ऐसे लोगों को सर्कसों में मनोरंजन का हिस्सा बनाया जा रहा था, जो सिर्फ़ शरीर में किसी कमी या किन्हीं दूसरे कारणों से साधारण लोगों के ढांचे में फ़िट नहीं बैठ रहे थे.

खास बात ये है कि ये कैरेक्टर्स कुछ हद तक बर्गमैन, तारकोस्की और डेविड लिंच के Surreal सिनेमा के किरदारों से मिलते-जुलते हैं. भारत में भी 1988 में एक ऐसी ही Surreal फ़िल्म ‘ओम दरबदर’ 1988 में आई थी लेकिन 25 सालों बाद 2014 में रिलीज़ हो पाई थी. अनुराग कश्यप, इम्तियाज़ अली जैसे कई बड़े निर्देशक इस फ़िल्म की सराहना कर चुके हैं. 

इन Freak Shows में पारंपरिक तौर से अलग या विकलांगों को भी हिस्सा बनाया जाता था. चेहरे पर बालों वाली महिलाएं, बिना पैरों वाला शख़्स और एक ऐसी लड़की जिसका चेहरा पक्षी से मिलता है. ये कुछ ऐसे कैरेक्टर्स थे, जिन्हें अमेरिका के सर्कसों में देखने के लिए लोग पहुंचते थे.

इनमें से कई कैरेक्टर्स अपनी पर्सनैलिटीज़ से लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने रहते. इनमें से कई कलाकार अपने काम के चलते बेहद लोकप्रिय भी साबित हुए. आज भले ही पॉप कल्चर मीडिया या लोगों में ज़्यादा बात न होती हो लेकिन अपनी मौजूदगी मात्र से इनमें से कई कलाकार अपने ज़माने में दौलत और शोहरत के मालिक थे.

इन दो परफ़ॉर्मर्स को इसलिए लाया गया था क्योंकि इनमें से एक का चेहरा बालों से भरा था वहीं जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से कू-कू नाम की दूसरी लड़की में पक्षियों के कुछ गुण मौजूद थे.

साइमन मेल्ट एक दुर्लभ बीमारी के साथ पैदा हुए थे जिसमें उनका दिमाग और सिर सिकुड़ा हुआ था. चूंकि उस समय डॉक्टरों को भी इस बीमारी का पता नहीं था ऐसे में साइमन के पास Freak शो का हिस्सा बनने के अलावा ज़्यादा ऑप्शन्स नहीं थे.

ये दोनों इसलिए लोकप्रिय थे क्योंकि इनमें से एक का चेहरा पुरुष लेकिन शरीर महिलाओं जैसा था, वहीं दूसरी महिला 15 इंच की दाढ़ी उगाने के चलते चर्चा में रहती थी.

इस व्यक्ति को उस ज़माने में Human Caterpillar कहा जाता था क्योंकि ये बिना रीढ़ के पैदा हुआ था. लोगों को एंटरटेन करने के लिए कभी वो यहां से वहां लुढ़क जाता था, तो कभी सिर्फ़ अपने मुंह से सिगरेट जलाकर दिखाता था.

इस व्यक्ति को Freak Show में केवल इसलिए रखा गया था, क्योंकि इसके पैर नहीं थे.

कनाडा की सर्कस परफ़ॉर्मर अन्ना हैनिंग स्वैन अपने माता-पिता के साथ. अन्ना की लंबाई साढ़े सात फ़ीट है लेकिन उसके मां बाप सामान्य हाइट के हैं.

इनमें से ज़्यादातर तस्वीरें 1932 में आई फ़िल्म Freaks से ली गई हैं. ये कहानी अमेरिका में परफ़़ॉर्म करने वाले एक बैंड के अनुभवों पर आधारित है

तस्वीरें ये भी साबित करती है कि एक ज़माने में महज अलग दिखने पर लोगों को एंटरटेनमेंट का ज़रिया समझा जा रहा था, जो  कुछ लोगों के लिए बेबस इंसान को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करने का एक तरीका लग सकता है तो कुछ के लिए ये उस ज़माने के Indifferent लोगों का शोहरत पाने का ज़रिया, हालांकि इसे इंसानों में Strange चीज़ों के प्रति कौतूहल का एक उदाहरण तो कहा जा सकता है. 

Source: Dailymail

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