बीटिंग रिट्रीट 2019 की तस्वीरें लेकर आए हैं, वो भी उसके इतिहास के साथ

J P Gupta

26 जनवरी की परेड के बाद जिस चीज़ सबको इंतज़ार रहता है, वो है बीटिंग रिट्रीट. हर साल 29 जनवरी को मनाई जाने वाली इस सेरेमनी में सेना के अलग-अलग बैंड की धुनों पर मार्च करते जवानों को देखना गर्व के साथ ही एक अलग तरह का सुकून देता है. 

दिल्ली के रायसीना हिल्स पर होने वाला ये समारोह अधिकारिक रूप से गणतंत्र दिवस के उत्सव का समापन का संकेत होता है. बीते मंगलवार को बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया गया था. 

आइए तस्वीरों के ज़रिये इस ख़ूबसूरत और सुरमयी कार्यक्रम के बारे विस्तार से जानते हैं. 

राजपथ पर हुए बीटिंग रिट्रीट के इस समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ, उप-राष्ट्रपति वैंकया नायडू, पीएम मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे. 

जल, थल, और वायु सेना के बैंड्स के साथ दिल्ली पुलिस को मिलाकर इस सेरेमनी में कुल 30 बैंड शामिल हुए थे. 

सभी ने राष्ट्रपति के सामने अपनी-अपनी धुन बजाकर उन्हें सलामी दी. 

इस समारोह की शुरूआत तीनों सेना के बैंड्स की सामुहिक धुन और मार्च पास्ट से हुई. 

सभी बैंड ने कुल 27 धुनें प्रस्तुत की, जिनमें से 19 भारतीय संगीतकारों और 8 विदेशी म्युज़िशिन्स ने तैयार की थीं. 

बीटिंग रिट्रीट की परंपरा दुनियाभर में मनाई जाती है. युद्ध के दिनों जब सेना शाम को युद्ध विराम करती थी, तब सेना के बैंड उनके लिए संगीतमय कार्यक्रम आयोजित करते थे. इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहते थे. 

भारत में इसकी शुरुआत साल 1950 में हुई थी.

इंडियन आर्मी के मेजर रॉबर्ट ने इसकी शुरुआत की थी

इस सेरेमनी के लिए 26 जनवरी के दिन से ही रायसीना हिल्स की सभी सरकारी इमारतों पर ट्राइकलर के रंग की रौशनी की जाती है.

आखिरी में सभी बैंड्स मार्च करते हुए ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां…’ धुन बजाते हुए वापस जाते हैं. 

शाम को 6 बजे राष्ट्रीय ध्वज को उतारने के साथ ही इसका समापन हो जाता है. 

इसके बाद तीनों सेनाएं जो 26 जनवरी के समारोह के लिए दिल्ली आई थीं अपने-अपने बैरक में वापस लौट जाती हैं.

Source: Beating Retreat 2019 ceremony

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