हिटलर 20वीं सदी का शायद सबसे निर्दयी तानाशाह था, जो दया और सहानुभूति जैसी भावनाओं से रिक्त था और हज़ारों लोगों के नरसंहार के लिए उत्तरदायी था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब हिटलर ने देखा की जर्मनी इस लड़ाई में हार जायेगी तो 1945 में उसने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली, लेकिन Simoni Renee Guerreiro Dias ने अपनी किताब Hitler in Brazil – His Life and His Death में हिटलर की मौत से सम्बंधित आश्चर्यजनक दावा किया है. इससे पहले इक नाज़ी पत्रकार ने हिटलर की मौत ब्राज़ील में 95 साल की उम्र में होने का दावा किया था. अपने दावे की पुष्टि के लिए इस पत्रकार ने हिटलर की एक फ़ोटो भी सबके सामने रखी थी.
किताब के अनुसार, युद्ध के बाद हिटलर ने अपने बैंकर में खुद को गोली नहीं मारी थी, बल्कि वह वहां से बचकर ब्राज़ील चला गया और 95 साल की उम्र तक अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एक सुखद और सेहतमंद ज़िन्दगी बितायी. उन्होंने खुद को एडोल्फ़ लीपज़ेग बताया था, क्षेत्र में रहने वाले सभी लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे और नहीं जानते थे कि वे कहां से आए हैं. बस उनकी नजर में एडोल्फ़ का संबंध जर्मनी से था और वह शायद वहीं से आया था लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि असल में यह इंसान कौन है. Simoni Renee ने दो सालों तक काफी छानबीन के बाद इस तथ्य को अपनी बुक में लिखा.
लेखिका के अनुसार शायद हिटलर किसी तरह सबको धोखा देकर सीक्रेट नक़्शे की मदद से साउथ अमेरिका जा पहुंचा. जहां उसकी मुलाकात ब्राज़ील की महिला कटिंगा से हुई और कुछ ही दिनों में वह हिटलर की गर्लफ्रेंड बन गयी. अपने कथन की पुष्टि के लिए रेनी ने बुक में एक धुंधले चित्र को दर्शाया है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी गर्लफ्रेंड Cutinga के साथ खड़ा है.
यह तस्वीर हिटलर की मौत से 2 साल पहले की है. रेनी कहती हैं कि मैंने इस चित्र पर फोटोशॉप की मदद से मूंछ लगाकर देखी तो तस्वीर हिटलर की हूबहू थी.वह कहती हैं कि यदि हिटलर ने खुद को गोली मारी थी, तो उसके मृत शरीर या उससे सम्बंधित कोई अवशेष जरूर मिलना चाहिए था. जिसकी पड़ताल के बावजूद भी हमको कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जो उसकी आत्महत्या की घटना को सत्य साबित कर सके.
उनकी बात को सही साबित करता सबसे पहला सुबूत वह डीएनए टेस्ट है, जो हिटलर के मौजूदा संबंधियों की मदद से किया गया था. वह साबित करता है कि 95 वर्ष की आयु पूरी करके शांति की मौत सोने वाला एडोल्फ़ लीपज़ेग ही हिटलर था.
दूसरा कारण जो सिमोनी के शक़ को यकीन में बदलता दिखाई दिया, वह था एडोल्फ़ द्वारा ‘लीपज़ेग’ सरनेम का प्रयोग करना. हिटलर के एक करीबी ‘बाच’ का जन्म स्थान था लीपज़ेग, शायद इसलिए उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए इसी सरनेम का प्रयोग किया था.
तीसरा और सबसे अहम सुबूत सिमोनी को तब हासिल हुआ, जब उन्होंने नाज़ी पत्रकार द्वारा प्रस्तुत की गई उस तस्वीर को हिटलर की असल तस्वीर से मिलाकर देखा.
सिमोनी द्वारा लिखी गई इस किताब पर कई शोधकर्ताओं ने विभिन्न सवाल उठाए. कुछ लोगों ने तो इन दावों को बकवास बताया. इसको लेकर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है, जो लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई.
Rochus Misch, जो हिटलर का बॉडीगार्ड था और उसे देखने वाला आखिरी शख़्स माना गया, पिछले सितंबर में 96 वर्ष की उम्र में मर गया. उसने बताया था कि हिटलर ने खुद को सिर में गोली मारी थी और वो टेबल पर गिर गया था.