ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर दुनियाभर में तमाम तरह के कार्यक्रम चलाये जाते हैं. बावजूद इसके वायु प्रदूषण 21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. आज दुनिया का हर देश इस समस्या से जूझ रहा है और भारत तो इसमें टॉप पर है. गन्दगी फ़ैलाने के मामले में हम लोगों ने तो पीएचडी की हुई है. घर हो या फिर कोई पब्लिक प्लेस, कहीं भी कभी भी प्लास्टिक कचरा जैसे रैपर, बोतल, पॉलिथीन आदि फेंकना हम भारतियों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है.
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक दिल दहला देने वाली तस्वीर वायरल हो रही है. इस भयानक तस्वीर में दिख रहा है कि किस तरह हिमालय की ऊंची चोटियां भी अब प्लास्टिक से भरी पड़ी हुई हैं. पब्लिक प्लेस तो दूर की बात हम लोगों ने तो हिमालय की ख़ूबसूरत वादियों को भी नहीं छोड़ा. अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हमें सांस लेने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन मिलना भी मुश्किल हो जायेगा.
माफ़ कीजियेगा ये कोई बर्फ़ की नदी नहीं, बल्कि हिमालय पर फैलाये गए प्लास्टिक और कचरे की नदी है.
लोगों ने हिमालय को अपनी मौज़ मस्ती का अड्डा तो बनाया ही है साथ ही उसकी ख़ूबसूरती को बर्बाद करने की कसम भी खा ली है.
टूरिज़्म और ट्रैकिंग के नाम पर सरकार ने लोगों को हिमालय की ख़ूबसूरत वादियों को दूषित करने का निमंत्रण दिया है.
आख़िर हम लोग कब सुधरेंगे, तब जब सरकार पहाड़ों और हिमालय पर जाने पर प्रतिबंध लगा देगी ?
क्या इस भयानक तस्वीर को देखने के बाद सरकार आंख-कान खोलने को तैयार होगी?
सरकार जब करेगी तब करेगी, उससे पहले हम लोगों को ये तय करना होगा कि न ख़ुद कूड़ा फैलाएं न ही किसी और को फैलाने दें.