भारतीय रेलवे की लापरवाही के चलते इस दिव्यांग लड़की को कुलियों ने जिस तरह छुआ, वो शर्म की बात है

Smita Singh

इन्डियन रेलवे के साथ सफ़र जितना रोमांचक होता है, उतनी ही ज्यादा मुश्किलें भी लेकर आता है. हम में से बहुत से लोग ट्रेन में होने वाली देरी की शिकायतें करते हैं, या फिर टॉयलेट की सफाई और बुरे खाने की. लेकिन एक व्यक्ति जो व्हील चेयर पर हो, उसके लिए ये मुश्किलें काफी भारी पड़ती हैं. ये उसके लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं होता.

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विराली मोदी एक मोटिवेशनल स्पीकर, राइटर, मॉडल होने के साथ ही एक दिव्यांग हैं, जो मुंबई में रहती हैं. वो कहती हैं कि यात्रा करना उन्हें पसंद है. लेकिन उनकी इस पसंद को भारतीय रेलवे में यात्रा करने के बाद दिव्यांगों के लिए ज़रूरी सुविधाएं न होने के कारण अन्दर तक झटका लगा है. 

Change.org पर ऑनलाइन पेटिशन के अंतर्गत विराली मोदी ने बताया है कि तीन घटनाओं में उन्हें रेलवे के कुलियों द्वारा अनचाहे स्पर्श और अपमान का सामना करना पड़ा, वे उन्हें ट्रेन में चढ़ने में मदद कर रहे थे, क्योंकि ट्रेनों में व्हील चेयर की सुविधा नहीं है.

‘मुझे डाइपर पहनना पड़ा, क्योंकि मैं ट्रेन का बाथरूम यूज़ नहीं कर सकती थी. जब मुझे उस डाइपर को चेंज करना होता, तो कोई प्राइवेसी नहीं थी और घंटों तक मुझे डाइपर चींज करने के लिए रात होने का और लेट्स ऑफ़ होने का इंतज़ार करना पड़ा.’

विराली मोदी शिकायत करती हैं कि रेलवे दिव्यान्गों के साथ ‘किसी सामान’ की तरह पेश आता है.

अपनी याचिका में उन्होंने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री से कई बातें कही हैं.

दिसंबर में पास हुए Rights of Persons with Disabilities Bill के अनुसार, सभी सार्वजनिक स्थल, जिनमें रेलवे स्टेशंस भी शामिल हैं, में दिव्यांग लोगों के लिए सुविधाएं होनी ज़रूरी हैं.

बस अड्डों, रेलवे स्टेशंस और एयरपोर्ट्स पर दिव्यांग लोगों के लिए सुविधाएं होनी चाहिए. पार्किंग स्पेस, टॉयलेट, तित्कत काउंटर और टिकट वेंडिंग मशीन तक में दिव्यांगों की सुविधा का ख़याल रखा जाना चाहिए.

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लेकिन विराली का कहना है कि उन्हें अकसर नियमों के सही पालन न होने कारण शोषण महसूस होता है.

उन्होंने सरकार से कुछ मांगें की हैं-

दिव्यांगों के मुताबिक ट्रेन में बड़ा बाथरूम होना चाहिए, जो साफ हो और ऊंचा हो. सिंक थोड़े नीचे होने छी, ताकि दिव्यांग आसानी से हाथ धो सकें.

हर ट्रेन में दिव्यंगों के लिए ऐसे कोच होने चाहिए, जिनमें वे आसानी से चढ़ सकें, वैसे तो हर क्लास का एक कोच उनकी ज़रूरत के हिसाब से होना चाहिए. सीटों के बीच जगह होनी चाहिए जिससे व्हीलचेयर बीच में आ सके. ताकि अगर व्यक्ति को एक सीट से दूसरी सीट पर जाना हो तो जा सके.

अकसर कई बार मुझे कपड़े चेंज करने की ज़रुरत होती है, लेकिन सीटें इतनी छोटी हैं कि मैं नहीं कर सकती. इसके साथ ही प्राइवेसी भी नहीं है.

प्लेटफ़ॉर्म चेंज करने की स्थिति में क्रॉस रेल रोड्स होनी चाहिए.

एक ही हफ़्ते में इस पेटिशन के लिए 4 हज़ार से ज्यादा लोगों ने सिग्नेचर किए हैं. विराली मोदी पीएम या रेल मंत्री के साथ बैठकर निजी तौर पर भी अपनी मांगों को लेकर बात करना चाहती हैं. 

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