ये दुनिया इतनी विशाल है और इस विशाल दुनिया में न जाने कितने देश, राज्य, ज़िले, शहर और गांव हैं, कि उन सबके नाम याद रखना या जानना बहुत मुश्किल काम है. इसी लिए हर देश, राज्य, शहर के लिए कुछ कोड्स और नंबर्स होते हैं, जो इनकी पहचान कराते हैं. इंसान की पहचान आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड से होती है, गाड़ियों की उसकी नंबर प्लेट से जबकि मोबाइल नंबर की पहचान उसके कंट्री कोड से होती है. वैसे ही हर देश, राज्य और शहर की पहचान के लिए PIN कोड ज़रूरी होता है.
PIN कोड यानि कि Postal Index Number. 6 डिजिट के इस नंबर से ही राज्य की पहचान जाती है. एक जमाना था, जब दुनियाभर में टेक्नोलॉजी का अभाव था. लोग एक-दूसरे से संपर्क साधने के लिए पत्रों का सहारा लिया करते थे. ऐसे में पत्र जिसे भेजा जा रहा है सही सलामत उस तक पहुंच सके इसी के लिए PIN Code की व्यवस्था की गयी थी.
आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हों जिस किसी को भी पत्र या फिर सामान भेजना हो वो इसी पिन कोड के माध्यम से उस व्यक्ति तक पहुंच पाता है.
आईये जानते हैं भारत में इस PIN Code की कब और कैसे शुरुआत हुई?
PIN कोड को देश के कुल 9 ज़ोन में बांटा गया है. इसमें सेना के लिए एक अलग ज़ोन बनाया गया है. भारत में पिन कोड की शुरुआत 15 अगस्त, 1972 को हुई थी, जो केंद्रीय संचार मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव श्रीराम भिकाजी वेलांकर की देन है.
भारत में कई ऐसे राज्य हैं जहां पर आपको कुछ नाम एक जैसे मिल जायेंगे. एक ही राज्य में आपको रामपुर, रामनगर और प्रेमनगर नाम की कई जगहें मिल जाएंगी. साल 1972 से पहले लोगों को बिना पिन कोड के काफ़ी मुश्क़िलों का सामना करना पड़ता था. लोगों को एक पत्र के लिए महीने या फिर सालभर का इंतज़ार करना पड़ता था. वहीं कुछ लोग ऐसा लिखते थे कि जिससे पता साफ़ नज़र ही नहीं आता था. इसलिए भी डाक विभाग को ये पता लगा पाना मुश्किल होता था कि डाक किस इलाके की है.
जबकि अलग-अलग भाषाओं के कारण भी स्थिति असहज हो जाया करती थी. इन्हीं दिक़्क़तों का समाधान करने के लिए हर राज्य का एक विशेष कोड बनाया गया. जिसे हम पिन कोड के नाम से जानते हैं.
पिन कोड से जुडी कुछ खास बातें-
कुल 6 अंकों वाले पिन कोड में शुरू से तीसरा अंक ज़िले के लिए होता है, जबकि आख़िरी के तीन अंक डाकघर के लिए होते हैं
इन राज्यों को दिए गए हैं ये पिन कोड़
दिल्ली-11
हरियाणा – 12 और 13
पंजाब – 14 से 16 तक
हिमाचल प्रदेश – 17
जम्मू-कश्मीर – 18 से 19 तक
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड – 20 से 28 तक
राजस्थान – 30 से 34 तक
गुजरात – 36 से 39 तक
महाराष्ट्र – 40 से 44 तक
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ – 45 से 49 तक
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना – 50 से 53 तक
कर्नाटक – 56 से 59 तक
तमिलनाडु – 60 से 64 तक
केरल – 67 से 69 तक
पश्चिम बंगाल – 70 से 74 तक
ओडिशा – 75 से 77 तक
असम – 78
पूर्वोत्तर – 79
बिहार और झारखंड – 80 से 85 तक
वहीं सेना डाक सेवा (एपीएस) के लिए 90 से 99 तक के कोड इस्तेमाल किये जाते हैं.