राशन चाहिए, तो घर के बाहर लिखाओ, ‘मैं ग़रीब हूं’. ये फ़िल्म का सीन नहीं, राजस्थान सरकार की योजना है

Akanksha Tiwari

हमारे देश में गरीबी एक अभिशाप है. ये अभिशाप बद्ददुआ तब लगने लगती है, जब कोई पल-पल आपको गरीब होने का अहसास दिलाता रहे. राजस्थान से भी ऐसी ही इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है.

आज तक हम सब को यही पता है कि सरकारी योजनाएं गरीबों को लाभ पहुंचाने के मकसद से बनाई जाती हैं. लेकिन राजस्थान की सत्ताधारी सरकार की हकीकत जानने के बाद, आपकी सारी गलतफ़हमी दूर हो जाएगी. दरअसल, वसुंधरा राजे सरकार ने गरीबों के लिए योजनाएं तो बनाई, लेकिन ये योजनाएं गरीबों की मदद से ज़्यादा हर पल उन्हें गरीब होने का अहसास कराती हैं.

इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना राजस्थान के दौसा ज़िले की है. दौसा ज़िले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत राशन लेने वाला परिवार, अपने घर के बाहर ‘मैं गरीब हूं’ लिखवाने पर मजबूर है. स्थानीय प्रशासन ज़िले के हर घर की दीवार को पीले रंग से पेंट कर, इस बात का प्रचार कर रहा कि ये परिवार गरीब है और सरकारी मदद लेता है.

दौसा ज़िले के सिकराय और बांदीकुई तहसील के करीब 50 हज़ार घरों की दीवारें, ‘मैं अत्यंत गरीब हूं’ के स्लोगन से पुती नज़र आती हैं. इतना ही नहीं, प्रशासन के मुताबिक, जो भी परिवार अपने घर के बाहर ‘मैं अत्यंत गरीब हूं’ लिखवाने से मना करेगा, उसे इस योजना के लाभ से वंचित रखा जाएगा.

राजस्थानी लोग अपनी ख़ुद्दारी के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कहते हैं न ‘मरता क्या न करता’, आख़िर पापी पेट का सवाल जो है. प्रशासन की शर्मनाक हरकत की वजह से कुछ लोग, शर्म के कारण अपना मुंह छिपाए फिर रहे हैं. 

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