अगर दहेज का रिवाज राजस्थान के इस छोटे से गांव की तरह होता, तो फिर इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता

Sumit Gaur

राजस्थान की धरती शौर्य गाथाओं की धरती है, जहां कण-कण में एक न एक शौर्य गाथा बस्ती है. शौर्य गाथाओं की इसी धरती के बीचों-बीच बसा है उदयपुर का झाडोल फलासिया गांव, जो अपनी एक ख़ासियत की वजह से सारे हिंदुस्तान के लिए एक मिसाल बन कर उभरा है.

दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक, उदयपुर ज़िले का झाड़ौल फलासिया क्षेत्र में एक ख़ास तरह की प्रथा है, जिसका निर्वाहन विवाह से ले कर मृत्यु तक किया जाता है. इस प्रथा के मुताबिक, गांव के सभी परिवार शादी-ब्याह से ले कर किसी भी तरह की विपदा और विपत्ति में एक-दूसरे का साथ निभाते हैं.

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गांव की किसी लड़की की शादी होने पर लोग अपने साथ ख़ुद अपना खाना लेकर आते हैं, जिससे कि लड़की के घरवालों पर शादी के ख़र्च को कम किया जा सके. वहीं किसी लड़के की शादी होने पर भारत के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी दहेज का रिवाज है, पर दहेज के रूप में लड़के वाले सिर्फ़ मिट्टी का एक कलश लेते हैं.

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इस गांव के सामूहिक सहयोग कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती, बल्कि गांव में किसी शख़्स की मृत्यु होने पर गांव वाले अपने घर से उसके अंतिम संस्कार का सामान लेकर जाते हैं. मृतक के परिवार पर बोझ न पड़े इसलिए गांव के अन्य लोगों की पूरी-पूरी कोशिश रहती है. इसी क्रम में मदद के लिए गांव का हर परिवार 4 किलो गेहूं और कुछ पैसे ले कर अपने साथ जाता है.

वाकई आज के समय में गांव के लोगों के आपसी सहयोग की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है, जो अपनी सहयोग से देश को रौशन करने का काम कर रही है.

Feature Image Source: InToday

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