साल 1939 में दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन जर्मनी के खिलाफ़ लड़ रहा था और भारत, पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश, ब्रिटेन आधीन भारतीय साम्राज्य का हिस्सा थे इसलिए जंग में वो भी जर्मनी के खिलाफ़ थे. कई भारतीय राजाओं ने युद्ध के लिए दान दिया था ताकि नाज़ियों और फ़ासीवाद से लड़ा जा सके. ये सभी तस्वीरें दूसरे विश्व युद्ध में भारत के योगदान की हैं.
1. मार्च 1944 में इराक में मौजूद भारत के 31वें बख्तरबंद डिवीज़न के दो सैनिक.
2. दिसंबर 1941 में Libyan Omar पर कब्ज़ा करने के बाद नाज़ी ध्वज पकड़े भारतीय सैनिक.
3. 1943 में बर्मा के अराकन मोर्चा पर गश्त लगने से पहले 7वीं राजपूत रेजिमेंट.
4. बर्मा के तामु तक कीचड़ में हथियार ले जाती भारतीय सेना.
5. 9वीं रॉयल डेकन हॉर्स के Sherman टैंक की भारतीय क्रू, 255वीं भारतीय टैंक ब्रिगेड और ब्रिटिश कमांडर ने बर्मा में Meiktila की ओर जाती रोड़ पर पकड़ा हाथी.
6. अगस्त 1943 में भारतीय आर.ए.एफ. स्टेशन के Orderly Room में बेगम पाशा शाह.
7. 1944 में बंगाल के Royal Air Force Consolidated Liberator बॉम्बर में काम करते मैकेनिक और दूसरी तरफ़ कार्य करती महिला मज़दूर.
8. 1943 में भारतीय सैनिक और आर.ए.एफ़. ग्राउंड क्रू.
9. Cannon-Firing Hurricanes को एसम्बल करते भारतीय टेक्नीशियन.
10. स्क्वाड्रन लीडर करुण कृष्ण मजूमदार को उनके शौर्य और नेतृत्व के लिए Distinguished Flying Cross से सम्मानित किया गया था. करुण कृष्ण मजूमदार अकेले ऐसे वायु सेना से जवान थे, जिन्हें दूसरे विश्व युद्ध में दो DFCs मिले थे.
11. चार भाइयों में से तीन भारतीया वायु सेना का हिस्सा थे.
12. San Felice, इटली में छोटे बच्चों से बातचीत करते भारतीय जवान.
13. इटली में जर्मन सैनिकों के आत्मसमर्पण करने से एक हफ़्ते पहले Bologna इटली के रेलयार्ड की मरम्मत करती 136वीं भारतीय रेलवे रखरखाव कंपनी.
14. 1945 में ब्रिटेन के Rosyth में पढ़ाई के लिए आई रॉयल भारतीय नौसेना सेवा (WRINS) की उप निदेशक Margaret L Cooper के साथ दूसरी अधिकारी कल्याणी सेन.
15. 1941 में बॉम्बे के पास रॉयल इंडियन नेवी के किनारे HMIS TALWAR की स्थापना के लिए कार्य करते ट्रेनी मेकैनिकल इंजीनियर.
16. बर्मा में HMIS ‘Narbada’ की क्रू.
17. बॉम्बे के रहने वाले Zavier Fernandez जिस रूसी काफ़िले में थे, उस पर हमला होने के कारण उनकी उंगलियां ज़खमी हो गई थीं. ये तस्वीर उनके ठीक होने के वक़्त की है.
18. 1942 में भारतीय रेलवे कार्यशाला के कर्मचारियों को बख्तरबंद वाहनों के निर्माण के लिए नियुक्त किया गया था.
19. जुलाई 1943 में Schools of Aeronautical Engineering, RAF Henlow में भारतीय वायुसेना के इंजीनियरिंग आॅफ़ि