रतन टाटा ने शेयर किया बचपन से लेकर पहले प्यार को खोने तक का क़िस्सा, जो हर किसी आंखें कर देगा नम

Ishi Kanodiya

रतन टाटा एक ऐसा नाम है जिसको पूरी दुनिया एक सफ़ल बिज़नेसमैन ही नहीं एक अच्छे इंसान के तौर पर भी देखती है. वो लोगों के लिए एक आदर्श की तरह हैं. 

मगर ज़िन्दगी किसी के लिए भी आसान नहीं होती है फिर चाहे वो रतन टाटा ही क्यों न हों. हर किसी को अपने हिस्से का स्ट्रगल करना पड़ता है. 

हाल ही में रतन टाटा ने Humans of Bombay से हुई अपनी बातचीत में अपने बचपन से लेकर अपने संघर्ष तक का ज़िक्र किया. साथ ही ये भी बताया कि कैसे उनकी दादी के मूल्यों ने उन्हें हमेशा एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित किया है.   

उनके माता-पिता का तलाक़ तब हुआ जब वे स्कूल में थे. उस समय तलाक़ बहुत आम नहीं थे और ऐसे में उन्हें और उनके भाई को स्कूल में हर तरह की बातों का सामना करना पड़ता था. 

यह उनके जीवन का एक कठिन दौर था, लेकिन उनकी दादी ने यह हमेशा सुनिश्चित किया कि वे चारों ओर की नकारात्मकताओं के बीच भी अपनी गरिमा बनाए रखें. 

उन्होंने लिखा,

 मुझे याद है, WW2 के बाद वो मुझे और मेरे भाई को लंदन ले कर गई थीं. और यहीं पर उनके मूल्यों ने वास्तव में मेरे जीवन पर छाप छोड़ी. वो हमें बोलती थी, ‘ऐसे मत बोलो’ या ‘इस बारे में शांत रहो’ और यहीं ‘इज़्ज़त हर चीज़ से ऊपर है’ की बात ने मेरे दिमाग़ में हमेशा के लिए घर कर गई. 

शुरू से ही उनके अपने पिता के साथ मतभेद थे. उनके पिता चाहते थे कि वे ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय से इंजीनियर हों और रतन टाटा चाहते थे कि वे अमेरिका के एक विश्वविद्यालय से आर्किटेक्ट बनें. उनके पिता चाहते थे कि वे पियानो बजाना सीखें, जबकि रतन टाटा का दिल वॉयलिन में बसता था. 

शुरुआत में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाख़िला लेने के बावजूद, अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय में दाख़िला लिया और आर्किटेक्ट में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. 

बाद में, उन्होंने LA में नौकरी की, प्यार में पड़े और शादी करने का भी फ़ैसला किया. उसी समय उनकी दादी की भी तबियत ठीक नहीं चल रही थी जिसके चलते उन्होंने उस वक़्त के लिए भारत वापिस जाने का फ़ैसला किया. 

वह यह सोचकर भारत चले आए कि उनकी पार्टनर इस बात का समर्थन करेंगी और वहां आएंगी लेकिन चीजें उस तरह से काम नहीं करती हैं जैसे हम चाहते हैं और उनके रिश्ता टूट गया. 

रतन टाटा की ये कहानी हमें अपने जीवन के शुरुआती चरणों में अपने दादा-दादी से मिले प्यार, समर्थन और मार्गदर्शन के बारे में बहुत कुछ सीखा जाती हैं. और उनका यही प्यार और समर्थन हमारे जीवन को दिशा देने में मदद करता है. 

रतन टाटा की ये कहानी हमें अपने जीवन के शुरुआती चरणों में अपने दादा-दादी से मिले प्यार, समर्थन और मार्गदर्शन के बारे में बहुत कुछ सीखा जाती हैं. और उनका यही प्यार और समर्थन हमारे जीवन को दिशा देने में मदद करता है. 

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