1971 के इंडो-पाक युद्ध के वो 5 हीरो जिनके साहस और पराक्रम के आगे पाकिस्तान झुकने को मजबूर हो गया

J P Gupta

1971 में आज के दिन ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. ये वो युद्ध है, जिसमें पाकिस्तानी सेना के 93,000 सैनिकों ने हिंदुस्तानी सेना के आगे आत्मसमर्पण किया था. इस युद्ध में क़रीब 3900 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. ये युद्ध भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम का शानदार उदाहरण पेश करता है. भारतीय सेना की इस शौर्यगाथा को याद करते हुए ही हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. विजय दिवस के अवसर पर चलिए 1971 के युद्ध कुछ रियल हीरोज़ को याद कर लिया जाए.

1. Major General Ian Cardozo 

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1971 के युद्ध में मेजर जनरल Ian Cardozo 5 गोरखा राइफ़ल्स को लीड कर रहे थे. जब वो पाकिस्तानी सेना को धूल चटा रहे थे उसी वक़्त उनका एक पैर लैंडमाइन ब्लास्ट में बुरी तरह जख़्मी हो गया, मगर उन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए बिना सोचे उस पैर को अपने ही चाकू से काट दिया. उसके बाद वो दूसरे जवानों के साथ लड़ने लगे. उनकी वीरता के लिए सरकार ने युद्ध के बाद उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया था.

2. सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल 

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अरुण खेत्रपाल वो भारतीय सैनिक हैं जिनकी बहादुरी के क़िस्से पाकिस्तान में भी सुनाए जाते हैं. 1971 के युद्ध में उन्होंने अदम्य साहस की नई मिसाल पेश की थी. जब वो शंकर गढ़ में भारतीय सेना के लिए लड़ रहे थे तब उनके सीनियर्स ने खेत्रपाल को वापस आने को कहा था क्योंकि पाकिस्तानी सेना के 4 टैंकों को उड़ाने के बाद वो भी जख़्मी हो गए थे लेकिन वो पीछे हटने को तैयार नहीं हुए और मरते दम तक अपने देश के लिए लड़ते रहे. उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना ने परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. 

3. मेजर होशियार सिंह 

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इस युद्ध में मेजर होशियार सिंह के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. युद्ध में जब पाकिस्तानी सेना ने शकंगरढ़ पर कब्ज़ा कर लिया था, तब उनकी बटालियन को बसंतर नदी पर एक पुल निर्माण करने का काम सौंपा गया था. पाक सेना ने उस नदी के किनारे लैंडमाइन्स बिछा दी थी और सेना भी भारी संख्या में तैनात कर दी थी. मगर होशियार सिंह अपने जवानों के साथ आगे बढ़े और पाक सेना को कड़ी टक्कर दी. जख़्मी हालत में भी वो अपनी बटालियन के साथ खड़े रहे. लगातार हो रहे हमले से पाकिस्तानी सेना भाग खड़ी हुई और पीछे अपने 85 शहीद सैनिकों भी छोड़ गई. उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

4. फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों 

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14 दिसंबर की रात को पाकिस्तानी एयर फ़ोर्स ने श्रीनगर बेस पर हमला कर दिया था. पूरा बेस धूल से भरा था. ऐसे में उड़ान भरना नामुमकिन था. मगर फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने इसकी परवाह किए बगैर उड़ान भरी और दुश्मन के 2 फ़ाइटर प्लेन्स को उड़ा दिया. पाकिस्तानी फ़ाइटर प्लेन तो भाग खड़े हुए लेकिन जाते-जाते वो सेखों के प्लेन पर हमला कर गए. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वो इंडियन एयर फ़ोर्स के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता हैं.

5. लांस नायक अल्बर्ट एक्का 

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अगरतला अगर आज भारत का हिस्सा है, तो वो लांस नायक अल्बर्ट एक्का की बदौलत. Battle Of Bogra में अगरतला की सुरक्षा करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इस पहाड़ी इलाके में पाकिस्तानी सेना अगरतला को अपने कब्ज़े में लेना चाहती थी. मगर अल्बर्ट एक्का ने बड़ी ही वीरता से उनका सामना किया और मरते दम तक अगरतला की रक्षा करते रहे. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

इस युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को हमारा शत-शत नमन.

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